Hindi, asked by Kashishnibe04, 1 month ago

गुजरात एवं छत्तीसगढ़ की जीवनशैली...​

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Answered by IND21
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Answer:

भारत’’ के तहत छत्तीसगढ़ की गुजरात के साथ जोड़ी बनाई गई है। योजना के तहत छत्तीसगढ़ और गुजरात राज्य की कला-संस्कृति, चित्रकला, साहित्य, पारम्परिक संगीत और नृत्य, चलचित्र, पर्यटन धरोहर, रीति-रिवाज, खेल, शिक्षा, युवा कल्याण, समाज कल्याण की विशेषताओं को एक-दूसरे के राज्यों में विभिन्न माध्यमों से प्रदर्शन किया जाएगा। यह कार्यक्रम वर्ष 2017 में साल भर चलेगा।

जनसंपर्क, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के सचिव संतोष मिश्रा की अध्यक्षता में योजना का खाका तैयार किया गया है। सचिव मिश्रा ने बताया कि अनेकता में एकता का मुख्य उद्देश्य लेकर यह योजना शुरू की गई है। नीति आयोग द्वारा इस योजना की रूपरेखा और एम.ओ.यू. की रूपरेखा तैयार कर भेजा गया है। इसमें छत्तीसगढ़ की पेयरिंग गुजरात के साथ की गई है।

Explanation:

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Answered by DevilBhaiYt
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गुजरात (गुजराती:ગુજરાત)(/ˌɡʊdʒəˈrɑːt/) पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। इसकी उत्तरी-पश्चिमी सीमा जो अन्तर्राष्ट्रीय सीमा भी है, पाकिस्तान से लगी है। राजस्थान और मध्य प्रदेश इसके क्रमशः उत्तर एवं उत्तर-पूर्व में स्थित राज्य हैं। महाराष्ट्र इसके दक्षिण में है। अरब सागर इसकी पश्चिमी-दक्षिणी सीमा बनाता है। इसकी दक्षिणी सीमा पर दादर एवं नगर-हवेली हैं। इस राज्य की राजधानी गांधीनगर है। गांधीनगर, राज्य के प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र अहमदाबाद के समीप स्थित है। गुजरात का क्षेत्रफल १,९६,०२४ किलोमीटर है।

गुजरात, भारत का एक राज्य है। कच्छ, सौराष्ट्र, काठियावाड, हालार, पांचाल, गोहिलवाड, झालावाड और गुजरात उसके प्रादेशिक सांस्कृतिक अंग हैं। इनकी लोक संस्कृति और साहित्य का अनुबन्ध राजस्थान, सिंध और पंजाब, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ है। विशाल सागर तट वाले इस राज्य में इतिहास युग के आरम्भ होने से पूर्व ही अनेक विदेशी जातियाँ थल और समुद्र मार्ग से आकर स्थायी रूप से बसी हुई हैं। इसके उपरांत गुजरात में अट्ठाइस आदिवासी जातियां हैं। जन-समाज के ऐसे वैविध्य के कारण इस प्रदेश को भाँति-भाँति की लोक संस्कृतियों का लाभ मिला है।

गुजराती जनसंख्या में विविध जातीय समूह का मोटे तौर पर इंडिक / भारतोद्भव (उत्तरी मूल) या द्रविड़ (दक्षिणी मूल) के रूप में वर्गीकरण किया जा सकता है। पहले वर्ग में नगर ब्राह्मण, भटिया, भदेला, राबरी और मीणा जातियां (पारसी, मूल रूप से फ़ारस से, परवर्ती उत्तरी आगमन का प्रतिनिधित्व करते हैं), जबकि दक्षिणी मूल के लोगों में वाल्मीकि, कोली, डबला, नायकदा व मच्छि-खरवा जनजातिया हैं। शेष जनसंख्या में आदिवासी भील मिश्रित विशेषताएं दर्शाते हैं। अनुसूचित जनजाति और आदिवासी जनजाति के सदस्य प्रदेश की जनसंख्या का लगभग पाँचवां हिस्सा हैं। यहाँ डेंग ज़िला पूर्णत: आदिवासी युक्त ज़िला है। अहमदाबाद ज़िले में अनुसूचित जनजाति का अनुपात सर्वाधिक है। गुजरात में जनसंख्या का मुख्य संकेंद्रण अहमदाबाद, खेड़ा, वडोदरा, सूरत और वल्सर के मैदानी क्षेत्र में देखा जा सकता है। यह क्षेत्र कृषि के दृष्टिकोण से उर्वर है और अत्यधिक औद्योगीकृत है। जनसंख्या का एक अन्य संकेंद्रण मंगरोल से महुवा तक और राजकोट एवं जामनगर के आसपास के हिस्सों सहित सौराष्ट्र के दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में देखा जा सकता है। जनसंख्या का वितरण उत्तर (कच्छ) और पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों की ओर क्रमश कम होता जाता है। जनसंख्या का औसत घनत्व 258 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी (2001) है और दशकीय वृद्धि दर 2001 में 22.48 प्रतिशत पाई गई।

CHHATTISGARH

संस्कृति

रायपुर जिले में प्रचलित संस्कृति छत्तीसगढ़ का है। छत्तीसगढ़ी ‘स्थानीय भाषा है, जो इस क्षेत्र के अधिकांश लोगों में बातचीत करना पसंद करते हैं| छत्तीसगढ़ की संस्कृति बहुत ही अमीर और दिलचस्प है। ‘बागीस’ (पारंपरिक चिकित्सा चिकित्सकों) रोगों और साँप के काटने आदि का इलाज करने के लिए अपने स्वयं के तरीकों (झाड़ फूक कहा जाता है) लागू करते हैं। हालांकि, उनकी विनम्रता, दयालुता और इस क्षेत्र को समायोज्य प्रकृति के लोगों के लिए जाना जाता है, ड्रेसिंग, मनोरंजन और जीवन शैली के तरीके में विविधता के शौकीन हैं। इस संस्कृति में संगीत और नृत्य की अनोखी शैली है। राउत नाचा, देवर नाचा, पंथी एंड सोवा, पदकी और पांडवानी कुछ संगीत शैलियों और नृत्य नाटक हैं। पांडवानी इस क्षेत्र में महाभारत गायन का एक प्रसिद्ध संगीत तरीका है। इस विशेष संगीत शैली को प्रसिद्ध तीजान बाई और युवा रितु वर्मा द्वारा चूने की रोशनी में लाया गया है। देश के इस भाग के महिलाओं और पुरुषों द्वारा रंगीन कपड़े और विविध गहने पहने जाते हैं।

महिलाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न सजावटी वस्तुओं में बांधा, ‘सुटा’, ‘फुली’, ‘बाली’ और खूंटी ‘, ‘अइन्ठी ‘, पट्टा, छुरा कमर पट कार्धाणी, ऊपरी बांह की पुंजची एक अंगूठी और पैर की चोटी पर बिचिया। पुरुषों ने नृत्य, जैसे अवसरों के लिए खुद को कोंडी और कढह के साथ सजते देखा।

गौरी-गौरा, सुरती, हरेली, पोला और तीजा इस क्षेत्र का मुख्य उत्सव हैं। सावन हरेली के महीने में मनाया जाता है हरियाली का एक निशान है। इस अवसर पर किसानों ने कृषि उपकरण और गायों की पूजा की है। वे शाखाओं और पत्तियों की जगह ‘भेल्वा (एक पेड़ जैसे काजू के पेड़ और इस जिले के जंगलों और गांवों में पाए जाते हैं) खेतों में और अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। लोग मौसमी बीमारियों की घटनाओं को रोकने के लिए इस अवसर पर घरों के मुख्य प्रवेश द्वार पर छोटे नीम की शाखाएं भी लटकाते हैं।

बच्चे हरेली के त्योहार से पोला तक ‘गेड़ी (बांस पर चलना) खेलते हैं। वे गेड़ी पर विभिन्न उपलब्धियां प्रदर्शित करते हैं और गेड़ी दौड़ में भाग लेते हैं। हरेली इस क्षेत्र में त्योहारों की शुरुआत भी है। पोला और तीजा, हरेली का पालन करते हैं लोग बैल की पूजा करके पोला मनाते हैं। बैल रेस भी त्योहार की एक बड़ी घटना है। बच्चे नंदिया-बैल (नंदी भगवान शिव का वाहन) के साथ खेलते हैं और मिट्टी के बने मूर्तियों और मिट्टी के पहियों से लगाए जाते हैं। तेजा महिलाओं का त्योहार है सभी विवाहित महिलाएं इस अवसर पर अपने पति के कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं। कस्टम इस प्रार्थना को महिलाओं के माता-पिता के स्थान पर करना है। एकजुटता और सामाजिक सद्भाव की भावना हर त्योहार और छत्तीसगढ़ संस्कृति की कला में भरी हुई है।

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