ग्जस देश का अन्न-जि ग्रहर् कर हम बढतेहैंऔर जीववत रहतेहैं, उस देश की सेवा करना तथा उसका
दहतगच ींतन करना हमारा पहिा कतयव्र् है। तन-मन-धन सेअपनेदेश की सेवा करनेका नाम ही स्वदेश-सेवा है।
स्वदेश-सेवा मेंसवयस्व िगाना ही जीवन की सििता है। र्ह वववादरदहत हैफक फकसी भी देश की सेवा का भार
उसी देश के रहनेवािों पर होता है। देश पर जब फकसी प्रकार की आपवत्त आती है, तब कार्र भी वीर बन जातेहैं।
हमेंतब र्ह ववचार आता हैफक वेसब वस्तएु ाँग्जनकी हम प्रनतष्िा करतेहैं, ग्जनका नाम िेतेहैं, ग्जनको पववर
समझतेहैं, ग्जनसेप्रेम करतेहैं- नष्ट भ्रष्ट हो जार्ेंगी और र्ही ववचार देशवालसर्ों को चींडी के जैसा प्रचींड रप
धारर् करनेके लिए बाध्र् कर देता है। जब देश फकसी प्रकार ववपद्ग्रस्त होता है, उस समर् जो िोग जीवन को
तर्ृ वत्जानकर, स्वाथयत्र्ागकर देश की रक्षा को ही अपना कतयव्र् समझतेहैं, उनकेनाम इनतहास मेंअमर हो
जातेहैं। उनको महापरुुष नहीीं, देवता मानकर िोग पजू तेहैं। meaning
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Since a letter is a formal mode of communication, you'll want to know how to write one that is professional. Correct formatting is especially ..
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