Hindi, asked by priyankaverma571199, 7 months ago

गोकुल के कुल के गली के गोप गाउन के
जौ लगि कछू-को-कछू भाखत भनै नहीं।
कहैं पद्माकर परोस-पिछवारन के
,
द्वारन के दौरि गुन-औगुन गर्ने नहीं।
तौ लौं चलित चतुर सहेली याहि कौऊ कहूँ,
नीके कै निचौरे ताहि करत मनै नहीं।
हौं तो स्याम-रंग में चुराई चित चोराचोरी,
बोरत तौं बोर्यो पै निचोरत बनै नहीं।।​

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Answered by namitamurmu94
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Answer:

this is a poem or story tell plzz

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