Physics, asked by barethnarendra96, 5 months ago

ग.
कुसंग से क्या क्या हानियाँ होती हैं?


Answers

Answered by shreyansh3856
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Explanation:

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Answered by lalitnit
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कुसंगति का अर्थ होता है – बुरी संगत। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी होता है। जब तक वो समाज में संबंध प्राप्त नहीं कर पाते हैं तब तक वो अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं। समाज में कई तरह के लोग होते हैं। कुछ अच्छे लोग होते हैं तो कुछ बुरे लोग होते हैं।

जब व्यक्ति की संगत अच्छी होती है तो उससे उसकी जड़ता को दूर किया जाता है। सत्संगति से मनुष्य की वाणी, आचरण में सच्चाई आती है। मनुष्य के अंदर से पापों का नाश होता है। इससे मनुष्य के अंदर की बुराईयाँ खत्म हो जाती है।

लेकिन कुसंगति सत्संगति की बिलकूल उल्टी होती है यह मनुष्य के अंदर बुराईयाँ पैदा करती है। कुसंगति मनुष्य को बुरे रास्ते पर ले जाती है। जो व्यक्ति सत्संगति के विरुद्ध होता है वह कुसंगति के अधीन होता है।

यह कभी भी नहीं हो सकता है कि मनुष्य कुसंगति के प्रभाव से बच सकता है। जो व्यक्ति दुष्ट और दुराचारी व्यक्तियों के साथ रहते हैं वे व्यक्ति भी दुष्ट और दुराचारी बन जाते हैं। इस संसार में व्यक्ति या तो भगवान की संगत पाता है या फिर बुरे व्यक्ति की संगत में पड़ जाता है क्योंकि मानव का समाज के अभाव में अस्तित्व नहीं है।

कुसंगति के दुष्परिणाम :

  • कुसंगति का मनुष्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। किसी भी व्यक्ति को अच्छी बातें सीखने में थोडा समय लग जाता है लेकिन वही व्यक्ति बुरी बातों को सीखने में बिलकुल भी समय नहीं लगाता है। जो व्यक्ति जिस तरह के व्यक्तियों के साथ बैठता है वो उन्ही की तरह का बन जाता है।

  • जब अच्छे व्यक्ति बुरे व्यक्तियों के साथ रहने लगता है तो अच्छा व्यक्ति भी बुरा बन जाता है। अगर हमें किसी भी व्यक्ति के बारे में यह पता लगाना है कि उसका चरित्र कैसा है तो सबसे पहले उसके दोस्तों से बात चीत करनी चाहिए। एक व्यक्ति के व्यवहार से ही उसके चरित्र का पता लग जाता है।

  • जो व्यक्ति कुसंगति के शिकार होते हैं वे किसी की बात नहीं सुनते हैं और सभी को गलत समझते हैं। वे जिन लोगों को अपना दोस्त समझते हैं उनसे बढकर उन्हें कोई भी अपना नहीं लगता है लेकिन वे लोग ही उसको दोखा देते हैं।

  • वह अपने घर वालों की नजरों में भी बुरा बन जाता है और समाज भी उसे बुरा मानता है। मनुष्य अपने जीवन में कहीं का भी नहीं रहता है। ऐसा व्यक्ति न ही तो अपने परिवार का कल्याण कर पाता है और न ही अपने देश और समाज के लिए अपने कर्तव्य को निभा पाता है।
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