ग. कुसंगति हमारा विनाश कैसे करती है?
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मनुष्य के अंदर से पापों का नाश होता है इससे मनुष्य की अंदर की बुराइयां खत्म हो जाती है लेकिन कुसंगति सत्संगति से बिल्कुल उल्टी होती है यह मनुष्य के अंदर बुराइयां पैदा करती है इस संसार में व्यक्ति या तो भगवान का संगत पाता है या फिर बुरे व्यक्ति के संगत में पड़ जाता है क्योंकि मानव का समाज के अभाव में अस्तित्व नहीं है
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