ग. कृत् प्रत्यय के कितने और कौन-कौन से भेद होते है?
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हिंदी के कृत्-प्रत्यय (Hindi ke Krit Pratyay)
क्रिया के अंत में आक, वाला, वैया, तृ, उक, अन, अंकू, आऊ, आना, आड़ी, आलू, इया, इयल, एरा, ऐत, ओड़, ओड़ा, आकू, अक्कड़, वन, वैया, सार, हार, हारा, इत्यादि प्रत्ययों के योग से कर्तृवाचक कृदंत संज्ञाएँ बनती हैं ।
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