िोगोां को यह कहते सुनय जयतय है दक एक और एक िो होते है परांतू एक कहयवत है- एक और एक ग्ययरह।इसकथन कय अदिप्रयय है दक “एकतय मे शखि” होती है।जब िो व्यखि एक सयथ दमिकर प्रययस करते है तो उनकी शखि कई गुनय होजयती है।मनुष्य एक सयमयदजक प्रयणी है।मनुष्य समयज से अिग होकर जीदवत नही रह सकतय।व्यखि को समयज के दबनय कोई महत्व नही है। जो समयज एकतय के सूत्र मे बांधय नही रहतय है,उसकय पतन अवश्य होतय है।
१। समयज कय पतन कब होतय है?
२ एक और एक ग्ययरह कय अथथ क्यय है?
३ मनुष्य कै सी प्रयणी है?
४ इस िांड के दिए उपयुि शीर्थक िीदजए।
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िोगोां को यह कहते सुनय जयतय है दक एक और एक िो होते है परांतू एक कहयवत है- एक और एक ग्ययरह।इसकथन कय अदिप्रयय है दक “एकतय मे शखि” होती है।जब िो व्यखि एक सयथ दमिकर प्रययस करते है तो उनकी शखि कई गुनय होजयती है।मनुष्य एक सयमयदजक प्रयणी है।मनुष्य समयज से अिग होकर जीदवत नही रह सकतय।व्यखि को समयज के दबनय कोई महत्व नही है। जो समयज एकतय के सूत्र मे बांधय नही रहतय है,उसकय पतन अवश्य होतय है।
१। समयज कय पतन कब होतय है?
२ एक और एक ग्ययरह कय अथथ क्यय है?
३ मनुष्य कै सी प्रयणी है?
४ इस िांड के दिए उपयुि शीर्थक िीदजए।
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