(ग) "कबहूँ प्रीति न जोरिये ..... गाँठ परति गुन माहि
(i) कवि यहाँ क्या नहीं करने को कहता है?
(i) इस दोहे से कदि क्या संदेश देना चाहता है?
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1. कवि यहां कभी किसी से प्यार से रिश्ता नहीं जोडने अगर जोडा भी तो उसे नहीं तोडने के लिए कहता है।
2. इस दोहे में कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि अगर हमने वह रिश्ता तोडकर फिर से जोडने की कोशिश भी की तब भी उस रिश्ते मे दरार (गांठ) पड जाएगी वह पहले जैसा नहीं रहेगा।
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