ग.
कवि मोह के बंधन से मुक्त होने का इच्छुक क्यों है?
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परम्परा है कि गृहस्थ से संन्यास में प्रस्थित होते हुए संत वर्ण-बंधन से मुक्त हो जाता है. गेरूआ वस्त्र धारण करने से पूर्व वह शिखा-सूत्र (चोटी और जनेऊ) का त्याग करता है और सबके यहाँ भिक्षा ग्रहण करने का अधिकारी बन जाता है
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sorry dont know what this means
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