(ग) कविता में आकुल उड़ान में विघ्न न डालो किसके द्वारा कहा गया है और क्यों?
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नीड़ न दो चाहे टहनी का आश्रय छिन्न- भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिये हैं तो आकुल उड़ान में विध्न न डालो। प्रश्न-1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के पाठ के रचयिता कौन हैं? उत्तर- हम पंछी उन्मुक्त गगन के पाठ के रचयिता शिवमंगल सिंह 'सुमन' हैं।
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in English who was sundka kaka
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