गुलाब या शब्दा वरुन कविता please help me
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हंसते हुए चेहरे की अदावरी, हंसते हुए गुलाब से यूं करी,
तुम्हारी मुस्कान ही है इतनी, मोहक गुलाबी-सी मदभरी।
अधर हैं जैसे कोमल, मालकौस गाती-सी वो दो पंखुड़ियां,
कितना समानीकरण है फिर, तेरे और गुलाबों के दरमियां।
झील-सी नीली आंखों की शोखियों में, खिलता नीला गुलाब,
ये कुछ पीले गुलाब बयां करते हैं, तेरी मधुरता और शबाब।>
सादगी और मासूमियत तुझमें, फिर उस सफेद गुलाबों-सी
तेरी घनेरी जुल्फें ओस भीगी, बिरहन है काले गुलाबों-सी।
तुम्हें रक्खूं सहेज कर किताब में, तुम प्रेम कहानी-सी रूहानी,
मंत्रमुग्ध-सी सुगंध को बिखेरती, भीनी-भीनी गंध जिस्मानी।
इस प्यार के रंग मे रंग जाओ, मेरी शाम रूमानी-सी गा जाओ,
शूल में खिलती-सी तुम, हंसता हुआ फूल गुलाबी बन जाओ।
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