ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ता खतरा पर निबंध लिखिए
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Explanation:
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
(i) ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के साधनों के कारण कुछ वर्षों में इसका प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है। अमेरिका के भूगर्भीय सर्वेक्षणों के अनुसार, मोंटाना ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर हुआ करते थे लेकिन इसके प्रभाव की वजह से अब सिर्फ 25 ही बचे हैं।
(ii) बड़े जलवायु परिवर्तन से तूफान अब और खतरनाक और शक्तिशाली होता जा रहा है। तापमान अंतर से ऊर्जा लेकर प्राकृतिक तूफान बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो जा रहे है। 1895 के बाद से साल 2012 को सबसे गर्म साल के रुप में दर्ज किया गया है और साल 2003 के साथ 2013 को 1880 के बाद से सबसे गर्म साल के रुप में दर्ज किया गया।
(iii) ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बहुत सारे जलवायु परिवर्तन हुए है जैसे गर्मी के मौसम में बढ़ौतरी, ठंडी के मौसम में कमी,तापमान में वृद्धि, वायु-चक्रण के रुप में बदलाव, जेट स्ट्रीम, बिन मौसम बरसात, बर्फ की चोटियों का पिघलना, ओजोन परत में क्षरण, भयंकर तूफान, चक्रवात, बाढ़, सूखा आदि।
(iv) अगर इस तरह से ग्लोबल वार्मिंग बढती रहेगी तो जो भी बर्फीले स्थान है वो पिघल कर अपना अस्तित्व खो देंगे। आजकल गर्मी और अधिक बढती जा रही है और सर्दियों में ठंड कम होती जा रही है। जब हम सर्वे को देखते हैं तो हमें पता चलता है कि पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।
(v) कार्बन-डाइऑक्साइड गैस के बढने की वजह से कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है।
(vi) ग्लोबल वार्मिंग की वजह से रेगिस्तान का विस्तार होने के साथ-साथ पशु-पक्षियों की कई प्रजातियाँ भी विलुप्त हो रही हैं।
(vii) ग्लोबल वार्मिंग के अधिक बढने की वजह से आक्सीजन की मात्रा भी कम होती जा रही है जिसकी वजह से ओजोन परत कमजोर होती जा रही है।
Answer:
इस समस्या से ना केवल मनुष्य, बल्कि धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी को नुकसान पहुँच रहा है
और इस समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक देश कुछ ना कुछ उपाय लगातार कर रहा है परंतु यह ग्लोबल वार्मिंग घटने की बजाय निरंतर बढ़ ही रहा है। इस समस्या से निपटने के लिये लोगों को इसका अर्थ, कारण और प्रभाव पता होना चाहिये जिससे जल्द से जल्द इसके समाधान तक पहुँचा जा सके।
जब वायुमंडल में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है तो वायुमंडल के तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है। तापमान में हुए इस बदलाव को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
ग्लोबल का अर्थ है 'पृथ्वी’ और वॉर्मिंग का अर्थ है 'गर्म'। भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है।
आसान शब्दों में समझें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है ‘पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन’। पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि (जिसे 100 सालों के औसत तापमान पर 10 फारेनहाईट आँका गया है) के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जल-स्तर में वृद्धि और वनस्पति तथा जन्तु जगत पर प्रभावों के रूप के सामने आ सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसें हैं। ग्रीन हाउस गैसें वे गैसें होती हैं, जो सूर्य से मिल रही गर्मी को अपने अंदर सोख लेती हैं। ग्रीन हाउस गैसों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण गैस कार्बन डाइऑक्साइड है