ग्लोबल वार्मिग पर निबंध 150 -200 शब्द
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पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के सतह पर निरंतर तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान सकारात्मक शुरूआत के साथ करना चाहिए। पृथ्वी का बढ़ता तापमान विभिन्न आशंकाओं (खतरों) को जन्म देता है, साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के लिए संकट पैदा करता है। यह क्रमिक और स्थायी रूप से पृथ्वी के जलवायु में परिवर्तन उतपन्न करता है तथा इससे प्रकृति का संतुलन प्रभावित होता है।
CO2 के स्तर में बढ़ोत्तरी “ग्रीन हाउस गैस प्रभाव” का कारक है, जो सभी ग्रीन हाउस गैस (जलवाष्प, CO2, मीथेन, ओजोन) थर्मल विकरण को अवशोषित करता है, तथा सभी दिशाओं में विकीर्णं होकर और पृथ्वी के सतह पर वापस आ जाते हैं जिससे सतह का तापमान बढ़ कर ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण बनता है।
निष्कर्ष
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से जीवन पर खतरा बढ़ता जा रहा है। हमें सदैव के लिए बुरी आदतों का त्याग करना चाहिए क्योंकी यह CO2 के स्तर में वृद्धि कर रहा है और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव के वजह से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। हमें पेड़ो की अन्धाधुन कटाई पर रोक लगाना चाहिए, बिजली का उपयोग कम करना चाहिए, लकड़ी को जलाना बंद करना चाहिए आदि l
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प्रस्तावना
इन हानिकारक गैसों की मात्रा में वृद्धि के लिए बढ़ती आबादी, शहरीकरण, प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग और कारखानों की बढ़ती संख्या सहित विभिन्न अन्य कारणो को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
ग्लोबल वार्मिंगः इतिहास
लगभग एक शताब्दी पहले, शोधकर्ताओं द्वारा कार्बन उत्सर्जन के कारण पृथ्वी के सतह के बढ़ते तापमान को लेकर चिंता व्यक्त की गया थी। कार्बन और दूसरे हानिकारक गैसो के बढ़ते स्तर के कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हुई है। वैज्ञानिको द्वारा बीसवीं सदी के मध्य से ही इस विषय को लेकर शोध और जानकारी इकठ्ठा की जा रही है, इन शोधो से पता चला है कि पिछले एक शताब्दी में पृथ्वी का तापमान बहुत ही खतरनाक रुप से बढ़ गया है।
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमारे वायुमंडल में भीषण रुप से परिवर्तन हुआ है। यहां ग्लोबल वार्मिंग के द्वारा होने वाले कुछ प्रभावो के विषय में बताया गया हैः
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघलने लगे है, जिसके कारण महासागरों और समुद्रो में जल का स्तर बढ़ने लगा है और समुद्रो का यह बढ़ता जलस्तर तटीय क्षेत्रो में रहने वाले लोगो के लिए एक संकट बनता जा रहा है।
- ग्लोबल वार्मिंग का वर्षा के क्रम पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। जिससे कई सारे क्षेत्रो में सूखे जैसे स्थिति उत्पन्न हो गयी है वही कुछ क्षेत्रो में भीषण वर्षा जैसी समस्या उत्पन्न हो गई है।
- इसी के कारण से ताप के लहर की तेजी काफी बढ़ गयी है, जिसके कारण कई सारी स्वास्थ्य संबधी बीमारियां उत्पन्न हो गयी है जैसे कि लू लगना और सरदर्द आदि।
- इसके अलावा वायुमंडल में उत्सर्जित होने वाली हानिकारक गैसो का महासागरों द्वारा अवशोषण कर लिया जाता है, जिसके कारण महासागर अम्लीय होते जा रहे है। जिसके कारण समुद्री जीवन पर भी संकट आ गया है।
- कई सारे जीव-जन्तु और पशु-पक्षी ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्पन्न हुई जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना नही कर पा रहे है। जिसके कारण कई सारी प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो चुकी है या फिर विलुप्त होने के कगार पर है।
- ग्लोबल वार्मिंग के ही कारण कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो गयी है। इसी के कारण लोगो में फेफड़ो का संक्रमण, चक्कर आना के साथ ही और कई सारी गंभीर बीमारियां उत्पन्न हुई है।
निष्कर्ष
इस प्रकार से, ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक चिंता का कारण बन गयी है, यह वह समय है जब हमें इस समस्या को गंभीरता से लेना होगा और इसके समाधान के लिए साथ मिलकर प्रयास करना होगा।