(ग) लोकः कं प्रसीदति ?
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शब्दार्थ-वरम् = श्रेष्ठ। गुणी = गुणवान् शतैरपि = सैकड़ों भी। तुम = अन्धकार।
सन्दर्भ – प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक के अन्तर्गत संस्कृत खण्ड के ‘सुभाषितानि’ नामक पाठ से उधृत है।
हिन्दी अनुवाद – सैकड़ों मूर्ख पुत्रों से (भी) एक गुणवान् पुत्र श्रेष्ठ है; (क्योंकि असंख्य) तारागणों और एक चन्द्रमा दोनों में चन्द्रमा अन्धकार को मार देता है; असंख्य तारे नहीं।
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