गोल कृमियों एवं फीता कृमियों में अन्तर लिखिये।
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Answer:कृमि (गोल कृमि) लंबे, आवरणहीन और बिना हड्डी वाले होते हैं। इनके बच्चे अंडे या कृमि कोष से डिंभक (लारवल) (सेता हुआ नया कृमि) के रूप में बढ़ते हुए त्वचा, मांसपेशियां, फेफड़ा या आंत (आंत या पाचन मार्ग) के उस ऊतक (टिशू) में कृमि के रूप बढ़ते जाते हैं जिसे वे संक्रमित करते हैं।
Answer:कृमि (गोल कृमि) लंबे, आवरणहीन और बिना हड्डी वाले होते हैं। इनके बच्चे अंडे या कृमि कोष से डिंभक (लारवल) (सेता हुआ नया कृमि) के रूप में बढ़ते हुए त्वचा, मांसपेशियां, फेफड़ा या आंत (आंत या पाचन मार्ग) के उस ऊतक (टिशू) में कृमि के रूप बढ़ते जाते हैं जिसे वे संक्रमित करते हैं।फीता कृमि एक अमेरूदण्डी परजीवी है। यह रीढ़धारी प्राणियों जैसे मानव के शरीर में अंतःपरजीवी के रूप में निवास करता है। इसकी कुछ प्रजातियाँ १०० फिट तक बढ़ सकती हैं। इसका शरीर फीता की तरह लम्बा और अनेक खण्डों में बँटा होता है। शरीर के प्रत्येक खण्ड को प्रोग्लोटिड कहते हैं। प्रत्येक प्रोग्लोटिड में नर एवं मादा अंग होता है।इनका शरीर देहगुहाहिन होता है तथा इनमें द्विपार्श्व सममिती पाई जाती है। फीता कर्मी इंसान के अंदर सूअर का मीट खाने से हो सकता है यदि इंसान सूअर के मीट को कम पकाकर खाता है तो उसके द्वारा इंसान के शरीर में फीता कर्मी की उत्पत्ति हो सकती है।