गिल्लू
ae he us ka chapter name
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Answer:
Hey mate . I am Shreyansh Pandey and here is your answer.
Explanation:
Gillu is a part taken from Mahadevi Varma 's "My Family", in which a writer describes a squirrel's love for man, it is based on the actual incident of his personal life.
hope it's helpful please mark as brainliest.
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2
What??
Kindly write correctly
This chapter is of hindi
Summary:-
गिल्लू महादेवी वर्मा जी की पालतू गिलहरी की कहानी है। वह एक दिन उनके बरामदे में उन्हें मूर्छित दशा में मिला। उन्होंने उसकी देखभाल करी और वह स्वस्थ हो गया। उन्होंने उसका नाम गिल्लू रखा।
गिल्लू अपनी फूल की डलिया को स्वयं हिलाकर झूलता था और अपनी काँच के मानकों जैसी आँखों से कमरे के भीतर और खिड़की के बाहर देखता समझता रहता था। लोगों को उसकी समझदारी और कार्यकलाप पर आश्चर्य होता था।
लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वह उनके पैरों तक जाकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता था जबतक लेखिका उसे जाकर पकड़ नहीं लेती थी।
भूख लगने पर वह चिक चिक करके लेखिका को सूचना देता था और काजू या बिस्कुट को अपने पंजो से पकड़कर कुतरता था।
लेखिका जब बाहर जाती तो गिल्लू भी खिड़की के छेद में से बाहर चला जाता था और दिन भर गिलहरियों के झुंड का नेता बनकर डालियों पर उछलता कूदता रहता था। शाम को ठीक चार बजे, लेखिका के घर आने के समय, खिड़की से भीतर आकर अपने झूले में झूलने लगता था।
लेखिका को चौंकाने के लिए वह कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता, कभी परदे की चुन्नट में और कभी सोनजुही की पत्तियों में।
वह लेखिका की खाने की थाली में से बड़ी सफाई से एक एक चावल उठाकर खाता था। उसे काजू बहुत प्रिय था। यदि उसे कई दिनों तक काजू नहीं मिलता तो वह खाने की अन्य चीजों को लेना छोड़ देता या झूले से नीचे फेंक देता था।
जब लेखिका अस्पताल में थी, गिल्लू प्रतिदिन उनका इंतज़ार करता था। उसने अपना प्रिय काजू भी नहीं खाया और लेखिका जब अस्पताल से वापस आई तो उन्हें उसके झूले में अनेक काजू पड़े हुए मिले।
उसने लेखिका की अस्वस्थता में देखभाल करी और अपने नन्हे नन्हे पंजों से उनके बाल सहलाता था। इस प्रकार गिल्लू बहुत ही समझदार और प्रिय था।
Extra important questions:-
प्रश्न 1.
सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर-
सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में यह विचार आया कि गिल्लू सोनजुही के पास ही मिट्टी में दबाया गया था। इसलिए अब वह मिट्टी में विलीन हो गया होगा और उसे चौंकाने के लिए सोनजुही के पीले फूल के रूप में फूट आया होगा।
प्रश्न 2.
पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर-
हिंदू संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में हमारे पूर्वज हमसे कुछ पाने के लिए कौए के रूप में हमारे सामने आते हैं। इसके अलावा कौए हमारे दूरस्थ रिश्तेदारों के आगमन की सूचना भी देते हैं, जिससे उसे आदर मिलता है। दूसरी ओर कौए की कर्कश भरी काँव-काँव को हम अवमानना के रूप में प्रयुक्त करते हैं। इससे वह तिरस्कार का पात्र बनता है। इस प्रकार एक साथ आदर और अनादर पाने के कारण कौए को समादरित और अनादरित कहा गया है।
प्रश्न 3.
गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तर-
महादेवी वर्मा ने गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार बड़े ध्यान से ममतापूर्वक किया। पहले उसे कमरे में लाया गया। उसका खून पोंछकर घावों पर पेंसिलिन लगाई गई। उसे रुई की बत्ती से दूध पिलाने की कोशिश की गई। परंतु दूध की बूंदें मुँह के बाहर ही लुढ़क गईं। कुछ समय बाद मुँह में पानी टपकाया गया। इस प्रकार उसका बहुत कोमलतापूर्वक उपचार किया गया।
प्रश्न 4.
लेखिको का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
उत्तर-
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू-
उसके पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और उसी तेज़ी से उतरता था। वह ऐसा तब तक करता था, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठ जाती।
भूख लगने पर वह चिक-चिक की आवाज़ करके लेखिका का ध्यान खींचता था।
प्रश्न 5.
गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
उत्तर-
महादेवी ने देखा कि गिल्लू अपने हिसाब से जवान हो गया था। उसका पहला वसंत आ चुका था। खिड़की के बाहर कुछ गिलहरियाँ भी आकर चिकचिक करने लगी थीं। गिल्लू उनकी तरफ प्यार से देखता रहता था। इसलिए महादेवी ने समझ लिया कि अब उसे गिलहरियों के बीच स्वच्छंद विहार के लिए छोड़ देना चाहिए।
लेखिका ने गिल्लू की जाली की एक कील इस तरह उखाड़ दी कि उसके आने-जाने का रास्ता बन गया। अब वह जाली के बाहर अपनी इच्छा से आ-जा सकता था।
प्रश्न 6.
गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर-
लेखिका एक मोटर दुर्घटना में आहत हो गई थी। अस्वस्थता की दशा में उसे कुछ समय बिस्तर पर रहना पड़ा था। लेखिका की ऐसी हालत देख गिल्लू परिचारिका की तरह उसके सिरहाने तकिए पर बैठा रहता और अपने नन्हें-नन्हें पंजों से उसके (लेखिका के) सिर और बालों को इस तरह सहलाता मानो वह कोई परिचारिका हो।
Hope it helps!!
Plz mark me as the brainliest answer....
Kindly write correctly
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Summary:-
गिल्लू महादेवी वर्मा जी की पालतू गिलहरी की कहानी है। वह एक दिन उनके बरामदे में उन्हें मूर्छित दशा में मिला। उन्होंने उसकी देखभाल करी और वह स्वस्थ हो गया। उन्होंने उसका नाम गिल्लू रखा।
गिल्लू अपनी फूल की डलिया को स्वयं हिलाकर झूलता था और अपनी काँच के मानकों जैसी आँखों से कमरे के भीतर और खिड़की के बाहर देखता समझता रहता था। लोगों को उसकी समझदारी और कार्यकलाप पर आश्चर्य होता था।
लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वह उनके पैरों तक जाकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता था जबतक लेखिका उसे जाकर पकड़ नहीं लेती थी।
भूख लगने पर वह चिक चिक करके लेखिका को सूचना देता था और काजू या बिस्कुट को अपने पंजो से पकड़कर कुतरता था।
लेखिका जब बाहर जाती तो गिल्लू भी खिड़की के छेद में से बाहर चला जाता था और दिन भर गिलहरियों के झुंड का नेता बनकर डालियों पर उछलता कूदता रहता था। शाम को ठीक चार बजे, लेखिका के घर आने के समय, खिड़की से भीतर आकर अपने झूले में झूलने लगता था।
लेखिका को चौंकाने के लिए वह कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता, कभी परदे की चुन्नट में और कभी सोनजुही की पत्तियों में।
वह लेखिका की खाने की थाली में से बड़ी सफाई से एक एक चावल उठाकर खाता था। उसे काजू बहुत प्रिय था। यदि उसे कई दिनों तक काजू नहीं मिलता तो वह खाने की अन्य चीजों को लेना छोड़ देता या झूले से नीचे फेंक देता था।
जब लेखिका अस्पताल में थी, गिल्लू प्रतिदिन उनका इंतज़ार करता था। उसने अपना प्रिय काजू भी नहीं खाया और लेखिका जब अस्पताल से वापस आई तो उन्हें उसके झूले में अनेक काजू पड़े हुए मिले।
उसने लेखिका की अस्वस्थता में देखभाल करी और अपने नन्हे नन्हे पंजों से उनके बाल सहलाता था। इस प्रकार गिल्लू बहुत ही समझदार और प्रिय था।
Extra important questions:-
प्रश्न 1.
सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे?
उत्तर-
सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में यह विचार आया कि गिल्लू सोनजुही के पास ही मिट्टी में दबाया गया था। इसलिए अब वह मिट्टी में विलीन हो गया होगा और उसे चौंकाने के लिए सोनजुही के पीले फूल के रूप में फूट आया होगा।
प्रश्न 2.
पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर-
हिंदू संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में हमारे पूर्वज हमसे कुछ पाने के लिए कौए के रूप में हमारे सामने आते हैं। इसके अलावा कौए हमारे दूरस्थ रिश्तेदारों के आगमन की सूचना भी देते हैं, जिससे उसे आदर मिलता है। दूसरी ओर कौए की कर्कश भरी काँव-काँव को हम अवमानना के रूप में प्रयुक्त करते हैं। इससे वह तिरस्कार का पात्र बनता है। इस प्रकार एक साथ आदर और अनादर पाने के कारण कौए को समादरित और अनादरित कहा गया है।
प्रश्न 3.
गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?
उत्तर-
महादेवी वर्मा ने गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार बड़े ध्यान से ममतापूर्वक किया। पहले उसे कमरे में लाया गया। उसका खून पोंछकर घावों पर पेंसिलिन लगाई गई। उसे रुई की बत्ती से दूध पिलाने की कोशिश की गई। परंतु दूध की बूंदें मुँह के बाहर ही लुढ़क गईं। कुछ समय बाद मुँह में पानी टपकाया गया। इस प्रकार उसका बहुत कोमलतापूर्वक उपचार किया गया।
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लेखिको का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?
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लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू-
उसके पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और उसी तेज़ी से उतरता था। वह ऐसा तब तक करता था, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठ जाती।
भूख लगने पर वह चिक-चिक की आवाज़ करके लेखिका का ध्यान खींचता था।
प्रश्न 5.
गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?
उत्तर-
महादेवी ने देखा कि गिल्लू अपने हिसाब से जवान हो गया था। उसका पहला वसंत आ चुका था। खिड़की के बाहर कुछ गिलहरियाँ भी आकर चिकचिक करने लगी थीं। गिल्लू उनकी तरफ प्यार से देखता रहता था। इसलिए महादेवी ने समझ लिया कि अब उसे गिलहरियों के बीच स्वच्छंद विहार के लिए छोड़ देना चाहिए।
लेखिका ने गिल्लू की जाली की एक कील इस तरह उखाड़ दी कि उसके आने-जाने का रास्ता बन गया। अब वह जाली के बाहर अपनी इच्छा से आ-जा सकता था।
प्रश्न 6.
गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?
उत्तर-
लेखिका एक मोटर दुर्घटना में आहत हो गई थी। अस्वस्थता की दशा में उसे कुछ समय बिस्तर पर रहना पड़ा था। लेखिका की ऐसी हालत देख गिल्लू परिचारिका की तरह उसके सिरहाने तकिए पर बैठा रहता और अपने नन्हें-नन्हें पंजों से उसके (लेखिका के) सिर और बालों को इस तरह सहलाता मानो वह कोई परिचारिका हो।
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