'गिल्लू' जातिवाचक संज्ञा से व्यक्तिवाचक संज्ञा कैसे ब
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गिलहरी जातिवाचक संज्ञा होता है, लेकिन गिलहरी का नाम गिल्लू है, इसलिए गिल्लू जातिवाचक से व्यक्तिवाचक संज्ञा बन गया.
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गिल्लू एक गिलहरी के बच्चे का नाम था जो कि जातिवाचक संज्ञा है परंतु लेखिका ने उसे गिल्लू नाम देकर व्यक्तिवाचक संज्ञा का दर्जा दिया क्योंकि वह लेखिका से बहुत ही प्रेम करता था तथा लेखिका भी उसे बहुत ही प्रेम करती थी लेखिका के घर में बहुत सारे पशु पक्षी थे परंतु गिल्लू एक ऐसा जीव था जिससे लेखिका बहुत ही प्रेम करती थी किसी भी पशु या पक्षी की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह लेखिका के बगल में बैठकर थाली में खाएं परंतु बिल्लू बड़े ही अच्छे तरीके से उनकी बगल में थाली में बैठकर खाता था तथा अचानक एक दिन लेखिका के अस्वस्थ होने के कारण उन्हें अस्पताल में ही रहना पड़ा बहुत दिनों तक जब लेखिका अपने घर वापस नहीं लौटी तो गिल्लू बहुत ही उदास हो गया और वह अपना प्रिय भोजन काजू जो भी नहीं खाने लगा। वह मानो एक बिछड़े हुए मां से एक बच्चे की तरह था लेखिका के न आने के कारण वह बहुत ही उदास रहने लगा और जब लेखिका वापस लौटी तो तो वह उनके सिरहाने में बैठकर उनके सिर को बहुत धीरे धीरे चलाया करता था और लेखिका ने इन्हीं कारणों से गिल्लू को एक जातिवाचक संज्ञा का दर्जा ना देकर व्यक्तिवाचक संज्ञा का दर्जा दिया।