२. गिल्लू कहानी हमारे स्वभाव में जीव-प्रेम को किस प्रकार विकसित करती है? गिल्लू कहानी
के आधार पर लिखिए । (८० से १०० शब्दों में लिखिए ।)
Answers
‘गिल्लू’ कहानी ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा लिखित एक हृदयस्पर्शी कहानी है।
ये कहानी हमारे स्वभाव में जीव-प्रेम की भावना को बड़ी से सुंदरता से दर्शाती है।
गिलहरी एक सीधा-सादा और निरीह प्राणी है। जब लेखिका के आंगन में गिलहरी के छोटे से बच्चे को कौओं द्वारा घायल कर दिया गया था। ये देखकर लेखिका का मन द्रवित हो उठा और वो उस गिलहरी के बच्चे को उपचार के लिये अपने घर के अंदर ले आईं। उसका उपचार किया। शीघ्र ही वो गिलहरी का बच्चा स्वस्थ हो गया। वो लेखिका के साथ हिल-मिल गया। अब वो बच्चा लेखिका को छोड़कर भी जाने के तैयार नही था। वो लेखिका के साथ अपनी पूरी जीवन अवधि रहा। लेखिका ने उसे गिल्लू नाम दिया था।
इस कहानी द्वारा हमें प्रेरणा मिलती है कि हमारे अंदर प्राणियों के प्रति संवेदना और दया होनी चाहिये। लेखिका ने जिस प्रकार गिल्लू के प्रति संवेदना दिखाई और उसकी देखभाल की उससे यही सिद्ध होता है कि हमारे स्वभाव में अभी भी करूणा और दया है। मानव का मूल स्वभाव से करूणा, दया और ममता से भरा है। ऐसी कोई परिस्थिति आने पर मानव में सहज ही ये भाव उत्पन्न हो जाते हैं।