गिल्लू ने लेखिका की कैसे मदद की? * परिचारिका की तरह O जानने वाले की तरह O माँ की तरह O बहन की तरह
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paricharika ki tarah madad ki
Answer:गिलहरी के घायल बच्चे के घाव पर लगे खून को पहले रुई के फाहे से साफ किया गया। उसके बाद उसके घाव पर पेंसिलिन का मलहम लगाया गया। उसके बाद रुई के फाहे से उसे दूध पिलाने की कोशिश की गई जो असफल रही। लगभग ढ़ाई घंटे के उपचार के बाद गिलहरी के बच्चे के मुँह में पानी की कुछ बूँदें जा सकीं। लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों के पास आता और फिर सर्र से परदे पर चढ़ जाता था। उसके बाद वह परदे से उतरकर लेखिका के पास आ जाता था। यह सिलसिला तब तक चलता रहता था जब तक लेखिका गिल्लू को पकड़ने के लिए दौड़ न लगा देती थीं।
गिल्लू अब युवावस्था में प्रवेश कर रहा था। उसे एक जीवन साथी की जरूरत थी। इसलिए गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता समझ में आई। इसके लिए लेखिका ने खिड़की की जाली का एक कोना अलग करके गिल्लू के लिए बाहर जाने का रास्ता बना दिया।जब लेखिका बीमार पड़ीं तो गिल्लू उनके सिर के पास बैठा रहता था। वह अपने नन्हे पंजों से लेखिका के सिर और बाल को सहलाता रहता था। इस तरह से वह किसी परिचारिका की भूमिका निभा रहा था। गिल्लू ने दिन भर कुछ नहीं खाया था। रात में वह बहुत तकलीफ में लग रहा था। उसके बावजूद वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के पास आ गया। गिल्लू ने अपने ठंडे पंजों से लेखिका कि अंगुली पकड़ ली और उनके हाथ से चिपक गया। इससे लेखिका को लगने लगा कि गिल्लू का अंत समय समीप ही था।सुबह की पहली किरण निकलते ही गिल्लू के प्राण पखेरू उड़ गये। इस पंक्ति में लेखिका ने पुनर्जन्म की मान्यता को स्वीकार किया है। लेखिका को लगता है कि गिल्लू अपने अगले जन्म में किसी अन्य प्राणी के रूप में जन्म लेगा। लेखिका को लगता है कि गिल्लू अपने अगले जन्म में सोनजूही के पीले फूल के रूप में आयेगा।
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