गिल्लू पाठ का मूल भाव क्या है ? * pls some body answer nobody answerd my last question :(
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Hme janvro ke prati samvedansheel ki bhavana honi chahiye. Unko satana nhi chahiye aur dekh bhaal krni chahiye. Azadi ka bhi pura kyal rkhna chahiye.
गिल्लू पाठ का मूल भाव है कि अपने समान अन्य जानवरों को भी जीने का अवसर दो। यदि कोई प्राणी घायल है या किसी मुसीबत में हैं, तो उसकी सहायता करो।
गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया । दिन भर उसने न कुछ खाया न बाहर गया। रात में अंत की यातना में भी वह अपने झूले से उतरकर मेरे बिस्तर पर आया और ठंडे पंजों से मेरी वही उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न' स्थिति में पकड़ा था।इस अद्भुत स्थिति में कभी-कभी घण्टों मेज पर दीवार के सहारे खड़ा रहकर वह अपनी चमकीली आँखों से मेरा कार्यकलाप देखा करता। भूख लगने पर चिक-चिक करके मानो वह मुझे सूचना देता है और काजू या बिस्कुट मिल जाने पर उसी स्थिति में लिफाफे से बाहर वाले पंजों से पकड़कर उसे कुतरता रहता। फिर "गिल्लू" के जीवन का प्रथम वसन्त आया।
#SPJ2