गुलामी के घटाएं कितना भी घेर ले आज नहीं तो कल आजादी का सूरज जरूर निकलेगा आश्य प्रकट कीजिए
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इस पंक्तियों का अर्थ है कि जिस प्रकार कितने भी घने बादल आकाश में हों, पर सूरज निश्चित रूप से बादलों से बाहर आकर चमकता ही है। उसी प्रकार आज हम गुलाम हैं किन्तु एक दिन ऐसा आएगा जब हम आजाद होंगे और अपनी जमीन में स्वतंत्रता से रहेंगे।
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