Hindi, asked by shobhachavan418, 2 months ago

गुलामी की प्रथा संसार भर में हजारों वर्षों तक चलती रही । उस लंबे
अरसे में विद्वान तत्त्ववेत्ता और साधु-संतों के रहते हुए भी वह चलती
रही । गुलाम लोग खुद भी मानते थे कि वह प्रथा उनके हित में है फिर मनुष्य
का विवेक जागृत हुआ । अपने जैसे ही हाड़-मांस और दुख
की भावना
रखने वालों को एक दूसरा बलवान मनुष्य गुलामी में जकड़ रखे, क्या यह
बात न्यायोचित है, यह प्रश्न सामने आया । इसको हल करने के लिए
आपस में युद्ध भी हुए। अंत में गुलामी की प्रथा मिटकर रही । इसी प्रकार
राजाओं की संस्था की बात है। जगत भर में हजारों वर्षों तक व्यक्तियों
का, बादशाहों का राज्य चला पर अंत में 'क्या किसी एक व्यक्ति को
हजारों आदमियों को अपनी हुकूमत में रखने का अधिकार है,' यह प्रश्न
खड़ा हुआ । उसे हल करने के लिए अनेक घनघोर युद्ध हुए और सदियों
तक कहीं-न-कहीं झगड़ा चलता रहा । असंख्य लोगों को यातनाएँ सहन
करनी पड़ी। अंत में राजप्रथा मिटकर रही और राजसत्ता प्रजा के हाथ में
आई । हजारों वर्षों तक चलती हुई मान्यताएँ छोड़ देनी पड़ीं। ऐसी ही कुछ
बातें संपत्ति के स्वामित्व के बारे में भी हैं।

Answers

Answered by nilamkumari91229
2

Answer:

राजाओं की संस्था की बात है। जगत भर में हजारों वर्षों तक व्यक्तियों

का, बादशाहों का राज्य चला पर अंत में 'क्या किसी एक व्यक्ति को

हजारों आदमियों को अपनी हुकूमत में रखने का अधिकार है,' यह प्रश्न

खड़ा हुआ । उसे हल करने के लिए अनेक घनघोर युद्ध हुए और सदियों

तक कहीं-न-कहीं झगड़ा चलता रहा । असंख्य लोगों को यातनाएँ सहन

करनी पड़ी। अंत में राजप्रथा मिटकर रही और राजसत्ता प्रजा के हाथ में

आई । हजारों वर्षों तक चलती हुई मान्यताएँ छोड़ देनी पड़ीं। ऐसी ही कुछ

बातें संपत्ति के स्वामित्व के बारे में भी हैं।

Explanation:

PLEASE MERA ANSWER KO BRAINLIEST KAR DO PLEASE...

Answered by singhdisha687
1

Answer:

गुलामी की प्रथा संसार भर में हजारों वर्षों तक चलती रही । उस लंबे

अरसे में विद्वान तत्त्ववेत्ता और साधु-संतों के रहते हुए भी वह चलती

रही । गुलाम लोग खुद भी मानते थे कि वह प्रथा उनके हित में है फिर मनुष्य

का विवेक जागृत हुआ । अपने जैसे ही हाड़-मांस और दुख

की भावना

रखने वालों को एक दूसरा बलवान मनुष्य गुलामी में जकड़ रखे, क्या यह

बात न्यायोचित है, यह प्रश्न सामने आया । इसको हल करने के लिए

आपस में युद्ध भी हुए। अंत में गुलामी की प्रथा मिटकर रही । इसी प्रकार

राजाओं की संस्था की बात है। जगत भर में हजारों वर्षों तक व्यक्तियों

का, बादशाहों का राज्य चला पर अंत में 'क्या किसी एक व्यक्ति को

हजारों आदमियों को अपनी हुकूमत में रखने का अधिकार है,' यह प्रश्न

खड़ा हुआ । उसे हल करने के लिए अनेक घनघोर युद्ध हुए और सदियों

तक कहीं-न-कहीं झगड़ा चलता रहा । असंख्य लोगों को यातनाएँ सहन

करनी पड़ी। अंत में राजप्रथा मिटकर रही और राजसत्ता प्रजा के हाथ में

आई । हजारों वर्षों तक चलती हुई मान्यताएँ छोड़ देनी पड़ीं। ऐसी ही कुछ

बातें संपत्ति के स्वामित्व के बारे में भी हैं।

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