गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया
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Answer:
लेखिका ने घायल गिलहरी के बच्चे को उठा लिया था। वह कौवों द्वारा चोंच मारने से बेहोश गमले से चिपटा पड़ा था। लेखिका उसे धीरे से उठाकर अपने कमरे में ले आई और रूई से उसका खून साफ कर उसके चोट पर दवाई लगाई। लेखिका ने रूई की पतली बत्ती दूध से भिगोकर बार-बार उसके नन्हे मुंह पर लगाई, किंतु उसका मुंह पूरी तरह खुल नहीं पाता था इसलिए वह दूध न पी सका। बहुत देर तक लेखिका उसका इलाज करती रही और उसके मुंह में पानी की बूंद टपकाने में सफल हो गई। लेखिका के इस प्रकार के उपचार के 3 दिन बाद गिलहरी का बच्चा पूरी तरह अच्छा और स्वस्थ हो गया।
Explanation:
गिलहरी के घायल बच्चे के घाव पर लगे खून को पहले रुई के फाहे से साफ किया गया। उसके बाद उसके घाव पर पेंसिलिन का मलहम लगाया गया। उसके बाद रुई के फाहे से उसे दूध पिलाने की कोशिश की गई जो असफल रही। लगभग ढ़ाई घंटे के उपचार के बाद गिलहरी के बच्चे के मुँह में पानी की कुछ बूँदें जा सकीं।
Answer:
उत्तर-
महादेवी वर्मा ने गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार बड़े ध्यान से ममतापूर्वक किया। पहले उसे कमरे में लाया गया। उसका खून पोंछकर घावों पर पेंसिलिन लगाई गई। उसे रुई की बत्ती से दूध पिलाने की कोशिश की गई। परंतु दूध की बूंदें मुँह के बाहर ही लुढ़क गईं। कुछ समय बाद मुँह में पानी टपकाया गया। इस प्रकार उसका बहुत कोमलतापूर्वक उपचार किया गया।
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