Hindi, asked by rayrahul1996, 5 months ago

गुम होता बचपन पर फीचर लिखिए ​

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Answered by suman2216
7

Explanation:

एक समय में जहाँ बच्चे अपने हाथ में खिलौने लिया करते थे वहाँ आज उनके हाथों में किताबो का ढेर नज़र आता है।जहाँ बच्चे अपने पिता के कंधे पर बैठा करते थे वहीं आज वो बच्चे अपने कंधे पर किताबो से भरा हुआ बस्ता संभालते हुए नज़र आते है। जहाँ बच्चे रात हो या दिन पूरे दिन हँसना और माँ -बाप के साथ समय गुज़ारा करते थे, वहीं दूसरी तरफ आज वो बच्चे थके और गुमसुम नज़र आते है। कितना अजीब है ना ये बचपन छोटे से हाथो में गुलदस्ता ,अखबार,और खाने का सामान बेचना और तो और अत्याचार सहना ,इतनी छोटी सी उम्र में जहाँ बच्चो को प्यार की जरूरत होती है वही बच्चे अत्याचार के पात्र बन जाते है।

आज कल बच्चे शिक्षा,नृत्य,और, गीत आदि जैसे प्रतियोगिता में हिस्सा लेना पसंद करते है ये सही तो है परंतु मित्र और अपने से बड़े भाई बहनों को इस तरह की प्रतियोगिता में देख कर शत्रु समझ बैठना उनके मन में छल कपट पैदा कर देता है । इसकासबसे बड़ा कारण आज के वो रियालिटी शो है जो बच्चो के मन में प्रतिस्पर्धा की भावना को जागरूक करता है जो आज कल के बच्चो को छोटी सी उम्र में गंभीर सोच पैदा कर देता है। जहाँ उन्हें अपने हर मित्र और भाई बहन प्रतिस्पर्धा लगने लगते है।

अब चलते है उस दुनियाँ में जहाँ बच्चे छोटी सीउम्र में माँ बाप का बोझ अपने कंधे पर उठा लेते है जहाँ वो अपना बचपन पैसे कमाने और माँ बाप का दूसरा कंधा बनने के लिए काम का पात्र बन जाते है।जहाँ ये बच्चे बचपन के अर्थ से वाकिफ़ ही नही है। इन बच्चो का न कोई सहारा है दुनिया देख कर भी इनको ठुकरा देती है औऱ काम करवाते वक़्त इन पर अत्याचार, क्या करेगा वो भी बच्चा क्योंकि वो भी मजबूर है खाने को एक वक़्त की रोटी नही ,रहने को छत नही ,पहनने को कपड़े नही, एक मात्र काम करना ही उनका सहारा है जिसमे कम से कम दो वक्त की रोटी तो नसीब है । जहाँ उन्हें गुल्ली डंडा खेलना था वहाँ आज वो होटल में नन्हे हाथो से बर्तन धोते हुए नज़र आते है ,जहाँ उनको कलम और किताबो को पकड़ना था वहाँ आज वो नोट की गदिया का ज्ञान रखते है । जहाँ उनको खेलना कूदना था वहाँ उनकी ज़िंदगी आज खेलकूद बन चुकी है ।

माँ बाप की नॉकरी जो अपने आपको व्यस्त रखती है ,बच्चो को पड़ोसी या दादी-दादा ,के पास छोड़ जाना ,बच्चो को माँ बाप से कहि न कहि दूर कर देता है ।जहाँ न वो बच्चे अपने मन की बात आपसे बता सकते और न ही आप पूछ पाते है क्योंकि आप अपने काम पर पूरा दिन व्यस्त रहते है और थके हुए जब घर आते है तो आप अपने बच्चो के साथ समय नही बिता पाते है ।

शिक्षा और जिम्मेदारी अपनी जगह है, माना कि आज के युग में हम इन सबकी अहमियत को नजरअंदाज नही कर सकते परंतु इसका मतलब ये भी नही की उनका हम बचपन ही छीन ले ।दोस्तो पढ़ाई के लिए पूरी उम्र है पर बचपन तो एक ही बार आता है उनका बचपन उनको खुल के जीने दो और बचपन की यादों को समेट ने दो।

Answered by pravinekonkar
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Answer:

बित्ता समय

Explanation:

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