Hindi, asked by sandeepkumarrajput43, 6 months ago

गुम होता बचपन विषय पर एक फीचर ​

Answers

Answered by hemendrakumar125019
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Explanation:

खेलते देखती हूँ बच्चों को तो,

सोचती हूँ यही कि काश मैं फिर से होती बच्ची,

थोडी अक्ल से कच्ची मन से सच्ची,

काश मे होती बच्ची।

कितना सुकून भरा होता है बचपन,

जैसे इस शान्त मधुवन,

उमंगो के फूल खिलते हैं रोज़,

आसमां मे उड़ने की रखते हैं सोच,

न कोई दिखावा ना कोई बनावटीपन ,

कितना सुंदर है ये बचपन।

ना जाने कहाँ हो रहा गुमनाम..

बच्चों का चुलबुला भोलापन?

देखती हूँ खेलते हुए बच्चों को..

सोचती हूं कि रोक दूँ, इस समय को

भावी जीवन में रह जायेगा खोखलापन।

एक समय ऐसा भी आएगा ..

ना दिखेंगे बच्चे गली,नुक्कड़,मैदानों में

वक़्त इनकी भोली सी मुस्कान ले जायेगा ।

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