गुम होता बचपन विषय पर एक फीचर लिखिए
Answers
Answer:
Write a feature on the topic of missing childhood
Explanation:
Childhood is indeed a period that everyone remembers in his life. The beauty of this period is that as a child, one would enjoy each moment gifted by nature and he would have less worries and more good moments. That is why people often remember childhood because that period had left good memories of the same person
Hindi version;
बचपन वास्तव में एक ऐसा दौर है जिसे हर कोई अपने जीवन में याद करता है। इस अवधि की सुंदरता यह है कि एक बच्चे के रूप में, प्रत्येक व्यक्ति प्रकृति द्वारा उपहार में दिए गए प्रत्येक क्षण का आनंद लेगा और उसे कम चिंताएं और अधिक अच्छे क्षण होंगे। यही कारण है कि लोग अक्सर बचपन को याद करते हैं क्योंकि उस अवधि ने उसी व्यक्ति की अच्छी यादें छोड़ दी थीं
गुम होता बचपन विषय पर एक फीचर लिखिए
गुम होता बचपन
आज के बच्चों का बचपन और उनके जीवन शैली देखकर आभास होता है कि वह बचपन कहीं गुम हो गया है, जो बचपन हमने जिया था।
बचपन का मतलब ही होता है, बिना किसी तनाव और चिंता के अपने बचपन को जीना। तब हमपर न तो पढ़ाई का इतना अधिक बोझ था और ना ही हम घर की चारदीवारी में कैद होकर मोबाइल, टीवी और विडीयो गेम तक सिमट कर रह गये।
अपने बचपन में हम छुट्टी वाले दिन सुबह-सुबह ही घर से बाहर निकल जाते, बाहर मैदानों, खेतों में खूब धमाचौकड़ी मचाते, कंचे खेलते, उछल-कूद करते, लुकाछिपी खेलते, बाग-बगीचों से आम-अमरूद आदि तोड़ते, मालियों से डांट खाते। बारिश में भीगते और भीगे हुए मिट्टी और कीचड़ में लथपथ आने पर घरवालों से डांट खाते। अगले दिन फिर वही सारी हरकतें शुरु हो जातीं।
मैदानों में खेलना कूदना, दिन भर बाहर उछल-कूद करना, तनाव रहित। चिंता मुक्त जीवन जीते थे। लेकिन आजकल के बच्चों को देखकर ऐसा नहीं लगता। आजकल के बच्चे अपने घर के कमरों में मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर आदि के आसपास सिमट कर रह गए हैं। वे मैदानी खेलों से दूर हो गये हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। उन पर पढ़ाई का बहुत अधिक तनाव है, उनके बच्चों का बोझ बहुत अधिक बढ़ गया है, उन पर परीक्षाओं में 90% से अधिक अंक लाने का दबाव है।
इस सब दबाव में आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग बन गया है। इन सब कारणों से बच्चों का बचपन गुम हो गया है और वह केवल परीक्षा को पास करने की मशीन बनकर रह गए हैं। वह अपने बचपन को उस निश्चल भाव से नहीं जी पा रहे, जैसा हम लोग जीते थे। इसी आजकल के बच्चों को देखकर यही अफसोस होता है कि वह बचपन अब गुम हो गया है।