(ग) मैं सोच नहीं सकता।
भाववाच्य में बदलिए)
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भाववाच्य -मुझसे सोचा नहीं जाता।
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वाच्य: वाच्य का अर्थ है बोलने का विषय। अतः क्रिया के जिस रुप से पता चले की क्रिया का मुख्य विषय कर्ता है ,कर्म है अथवा भाव उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के दो भेद हैं।
कर्तृवाच्य और अकर्तृवाच्य
कर्तृवाच्य : इसमें कथन का केंद्र कर्ता होता है ।कर्म गौण होता है । कर्तृवाच्य में क्रिया अकर्मक भी हो सकती है और सकर्मक भी।
अकर्तृवाच्य : जिन वाक्यों में करता गौण या लुप्त होता है उसे अकर्तृवाच्य कहते हैं। अकर्तृवाच्य के दो भेद है : कर्मवाच्य और भाववाच्य।
कर्मवाच्य : किस वाक्य में केंद्र बिंदु कर्ता ना होकर कर्म हो उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
भाववाच्य: जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता ना होकर अकर्मक क्रिया का भाव प्रमुख हो उसे भाववाचय कहते हैं।
क)मुझसे इस गर्मी में सोया नहीं जा सकता।
ख) राहुल शिकार करता है।
ग) पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
घ) मोहन से चला नहीं जाता।
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