(ग) मिस सारा ने सुभाष के पिता जा स क्या कहा !
(घ) सुभाष पर गांधी जी के भाषण का क्या प्रभाव पड़ा
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जैसा बताया जाता है, क्या नेताजी और महात्मा गांधी
1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर नेताजी की जीत को लेकर महात्मा गांधी की प्रतिक्रिया का पूरा संदर्भ जाने बिना इनके आपसी संबंधों को पूरी तरह नहीं समझा जा सकता
जैसा बताया जाता है, क्या नेताजी और महात्मा गांधी के बीच वैसी ही दूरियां थीं?
18 अगस्त 2019
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आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पुण्यतिथ पर जब आप ये शब्द पढ़ रहे होंगे, उसी समय सोशल मीडिया से लेकर अन्य मंचों पर नेताजी के बरक्स महात्मा गांधी की भी चर्चा चल रही होगी. ठीक है कि भारत की आज़ादी का कोई भी विमर्श महात्मा गांधी का नाम लिए बिना पूरा नहीं हो पाता. लेकिन आज नेताजी को महात्मा के खिलाफ ऐसे ही खड़ा किया जा रहा है मानो ये दोनों ही व्यक्तित्व आज के राजनेताओं की तरह एक-दूसरे के प्रति मनभेद और द्वेषभाव रखने वाले लोग हों.
तो आइये आज जान ही लेते हैं कि अहिंसा और हिंसा के प्रश्नों के साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से नेताजी बोस और महात्मा गांधी एक-दूसरे के बारे में असल में क्या सोचते थे.
सुभाष चंद्र बोस को देशबंधु चित्तरंजन दास से मिलाने का काम महात्मा गांधी ने ही किया था. लेकिन असहयोग आंदोलन को अचानक समाप्त किए जाने से नाराज मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास ने जब कांग्रेस से अलग होकर स्वराज पार्टी बना ली, तो सुभाष बाबू भी स्वराजियों के साथ ही गए. लेकिन गांधी का व्यक्तित्व ऐसा था कि एक बार जब वे किसी व्यक्ति में गुणदर्शन कर लेते थे, तो फिर कोई भी वैचारिक मतभिन्नता उन्हें उनसे अलग नहीं कर सकती थी. और कमोबेश यह गुण सुभाष बाबू में भी था.
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- 18-7-2019 :date of august