Hindi, asked by punitagupta079, 3 months ago

(ग) मातृभूमि को स्वर्ग से बढ़कर बताया गया है। स्पष्ट कीजिए।
क्या लेने के लिा कह रहा
करिअपलेसीशे और तारों हाशमालेले लिया।​

Answers

Answered by farhaanaarif84
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Answer:

पत्थर की मूरतों से समझा है तू खुदा है,

खाके-वतन का मुझको हर जर्रा देवता है।

जन्म देनेवाली माँ और जन्म लेने के बाद माँ एवं संतान का पालन-पोषण करनेवाली धरती माँ से बढ़कर संसार में भला और कौन हो सकता है। माँ और मातृभूमि किसी व्यक्ति के जीवन की अनमोल निधि है, जिसके आगे तीनों लोकों का सुख सहर्ष न्योछावर है। ममतामयी आँचल एवं दुलार भरी गोद किसी भी व्यक्ति की सारी व्यथाओं को हर लेती है। माँ के हृदय से अधिक उदात्त एवं विशाल हृदय इस दुनिया में किसी का संभव नहीं।

हम अपने रहने की भूमि को मातृभूमि की संज्ञा देते हैं। उसे धरती माँ कहकर पुकारते हैं। अथर्ववेद में लिखा गया है कि माता भूमि – प्रत्रोहं पृथिव्या – अर्थात् माता है और हम उसके पुत्र है।

अथर्ववेद का यह मंत्र माँ की महिमा से जोड़कर ही पृथ्वी की गरिमा का गान करता है। और साथ-ही साथ माँ एवं मातृभूमि की व्याख्या भी करता है। यही देशभक्ति का मूलमंत्र भी हैं। क्योंकि जिसने अपने देश की भूमि को माता मान लिया, वह उसके सुरक्षा एवं सम्मान केलिए अपना सर्वस्व बलिदान करेगा नहीं।

जो व्यक्ति माँ एवं मातृभूमि केलिए कुर्बानी देता है, ऐसे व्यक्ति को देवता भी सिर झुकाकर नमन करते हैं। इसलिए कहा गया है कि – जननी-जन्मभूमिश्च स्वगीदपि गरीयसी। अर्थात् जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठतर होती है। कई अर्थों में माँ के अधिक महत्व मातृभूमि को दिया जाता है।

माँ एवं मातृभूमि अपनी संतानों केलिए बहुत कष्ट सहकर भी अपनी संतानों की रक्षा करती है। माँ अपने खून से खींचकर अपनी संतान को आकार देती है। मातृभूमि अपनी छात्रों को फोड़कर निकले अनाज से अपनी संतानों का ताउम्र भरण-पोषण करती है। वास्तव में मातृप्रेम एक नैसर्गिक उदात्त भाव है। राष्ट्रगान को सुनकर ही रोम-रोम ही आनंदित एवं रोमांचित हो उठता है।

भारत माँ की धरती वह धरती है जहाँ त्याग और बलिदान के एक नहीं अनेक दृष्टांत मौजूद हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम का त्याग, अहिंसा का संदेश देनेवाले महावीर एवं महात्मा बुद्ध की अमर वाणी, श्रीकृष्ण का कर्माण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन् का संदेश कभी भुलाया नहीं जा सकता। यही भारत का शक्ति है। दया, धर्म, सदाचार, त्याग, अहिंसा आदि भारतीय संस्कृति के प्रमुख गुण रहे हैं। अनेक साहित्यकार, राजनीतिज्ञ, महान सम्राट आदि ने समय-समय पर इस धरती पर जन्म लिया है। ऐसी भारत भूमि को छोड़कर किसी अन्य स्वर्ग की अल्पना करना व्यर्थ है। हमारी माँ है स्वर्ग। माँ की गोद में है जन्मभूमि। ऐसे साक्षात् स्वर्ग को छोड़कर काल्पनिक स्वर्ग की चिंता कौन करें।

हाँ हमारी माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर

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