(ग) मियां नसीरूद्दीन के व्यक्तित्व और चरित्र की विशेषताओं का स्पष्ट कााजा
(घ) 'गलता लोहा' पाठ के आधार पर मोहन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
Answers
Explanation:
प्रस्तुत पाठ या कहानी गलता लोहा लेखक शेखर जोशी जी के द्वारा लिखित है | गलता लोहा शेखर जोशी की कहानी- कला का एक प्रतिनिधि नमूना है। समाज के जातिगत विभाजन पर कई कोणों से टिप्पणी करने वाली या कहानी इस बात का उदाहरण है कि शेखर जोशी के लेखन में अर्थ की गहराई का दिखावा और बड़बोलापन जितना ही कम है, वास्तविक अर्थ और गंभीरता उतनी ही अधिक। लेखक की किसी मुखर टिप्पणी के बगैर ही पूरे पाठ से गुजरते हुए हम यह देखते हैं कि, एक मेधावी किंतु निर्धन ब्राह्मण युवक मोहन किन परिस्थितियों से उस मनोदशा तक पहुंचता है, जहां उसके लिए जातीय अभिमान बेमानी हो जाती है। मोहन का व्यक्तित्व जातीय आधार पर निर्मित झूठे भाईचारे की जगह मेहनतकशों के सच्चे भाईचारे की प्रस्तावना करता प्रतीत होता है, मानो लोहा गलकर नया आकार ले रहा हो।
लेखक बताते है की मोहन के पैर स्वत: ही शिल्पकार टोले की ओर मुड़ जाते हैं। उसके मन में कहीं न कहीं धनराम लोहार की आफर की आवाज शेष थी जो, तीन-चार दिनों से वह दुकान की ओर जाते हुए दूर से ही ऐसे सुन रहा था जैसे लाल गर्म लोहे पर हथौड़े से पीटने की आवाज वह दूर से ही पहचान सकता हो।
एक दिन मोहन खेतों के किनारे उग आई कांटेदार झाड़ियों को साफ करने के उद्देश्य से हंसुवे को लेकर घर से
शेखर जोशी
शेखर जोशी
निकला था। उनके पिता वंशीधर, पुरोहिताई का काम कर अपना घर चलाते थे। परंतु अब वे इतने वृद्ध हो चुके थे कि उनके बस का अब यह काम नहीं था। यजमान लोग उनकी निष्ठा और संयम के कारण उनपर श्रद्धा रखते हैं, लेकिन बुढ़ापे का यह शरीर इतना कठिन श्रम और व्रत उपवास झेल नहीं पाता। सुबह-सुबह गहरी सांस लेकर वे सहारा पाने के उद्देश्य से कहते हैं- आज गणनाथ जाकर चंद्रदत्त जी के लिए रुद्रीपाठ करना था, परंतु अब मुश्किल लग रहा है कि, जा पाऊंगा। दो मील की सीधी चढ़ाई अब मेरे बस की बात नहीं है। अब अचानक से ना भी नहीं कहा जा सकता। कुछ समझ नहीं आ रहा।
मोहन अपने पिता का आश्रय तो समझ चुका था परंतु उसे ऐसे अनुष्ठान कर पाने का उसे अनुभव नहीं था। पिता की बातें सुनकर भी उसने उनका भार हल्का करने के लिए भी कोई सुझाव नहीं दिया। जैसे कि बात हवा में कर दी गई हो, उनका सवाल अनुत्तरित रह गया। follow me please and like
Answer:
a
Explanation:
aaaaaaaaaaapaaaaaaaaaaaa