Hindi, asked by maheshnagpal138, 1 month ago

गुमनाम नायक. ...par essay​

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Answered by itzkanika85
3

Answer:

\Bदस दिन तक अंग्रेजों से आजाद रहा इलाहाबाद\B

आजादी की लड़ाई में इलाहाबाद क्रांतिकारियों का एक प्रमुख केंद्र रहा है। इसी शहर से कई बड़े नेताओं ने आंदोलनों की शुरुआत भी की। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि 1857 में 10 दिनों तक इलाहाबाद अंग्रेजी शासन से आजाद भी रहा था। हालांकि शहर के कम ही लोग इस तथ्य से परिचित हैं। ऐसी ही और जानकारियों को लोगों तक पहुंचाने और उन्हें आजादी के गुमनाम नायकों के बारे में जानकारी देने के लिए एक गैलरी की रूपरेखा इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रफेसर योगेश्वर तिवारी ने तैयार की। इसे अब संस्कृति विभाग मूर्त रूप देने जा रहा है। कुंभ के दौरान इस गैलरी के पायलट प्रॉजेक्ट पर काम भी हो चुका है और इसे काफी सराहना भी मिली। इससे उत्साहित होकर अब संस्कृति विभाग ने इसे 15 अगस्त से पहले तैयार कर स्टूडेंट्स व इतिहास विभाग को समर्पित करने की योजना बना ली है।

\Bसंस्कृति विभाग तैयार करेगा गैलरी\B

इस गैलरी में काकोरी कांड के नायकों चंद्रशेखर आजाद, अशफ़ाकउल्ला और रोशन सिंह समेत कई ऐसे क्रांतिकारियों के बारे में जानकारी मिल सकेगी जो इलाहाबाद से जुड़े रहे हैं। इनमें नाना साहब भी शामिल हैं, जिनकी संपत्तियां इलाहाबाद में थीं। इसके साथ ही 1857 में 10 दिन की आजादी के दौरान अंग्रेजों से हुए संघर्ष में मारे गए क्रांतिकारियों को भी विशेष स्थान दिया जाएगा। संस्कृति विभाग इस गैलरी को तैयार करेगा और इसका रखरखाव इतिहास विभाग करेगा। इस गैलरी मे 1857 से 1942 के बीच के नायकों के बारे में जानकारी मिल सकेगी।

- गैलरी में ऐसे गुमनाम नायकों को भी शामिल किया जाएगा जिन्हें आमतौर पर लोग नहीं जानते। योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। उम्मीद है कि 15 अगस्त से पहले इसे विभाग के हवाले कर दिया जाएगा। - अमित अग्निहोत्री, क्षेत्रीय अभिलेख अधिकारी, प्रयागराज

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Explanation:

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Answered by tanjotk96
2

Explanation:

सरकारी विभागों में आग के पिछले मामलों में अब तक जांचें लंबित हैं। विभाग की ओर से जो जांच अफसर नियुक्त किए गए पर वह यही नहीं पता लगा पाए कि कौन सी महत्वर्पूण फाइलें जली थीं। अब तक किसी भी मामले में अब किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर घटनाएं दफ्तर बंद होने के बाद या फिर रात में हुईं।

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