। गान अवित प्राण अर्पित चाहता हूँ देश की धरती , तुझे कुछ और भी माछो तलवार को, लाभ नदेरी, बॉयदे कस्वकर कमर माल पर मल दो चर की घुल योडी शीश पर अशीष की छाया घनेरी अपित प्रश्न साबित आयु का क्षण- तग अपित. पर हाल मेरी रसम्म
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