Hindi, asked by mohdislamansari4343, 9 days ago

गुन के गाहक सहस नर, बिन गुन लहै न कोय । जैसे कागा-कोकिला, शब्द सुनै सब कोय ।। शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन । दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन ।। के कह गिरिधर कविराय, सुनौ हो ठाकुर मन के। बिन गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के ।। bhavarth of this stanza

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Answered by savitakumardevendra
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Answer:

शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन। दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन॥ कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के। बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के॥

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