ग्नान और समझ केलिए पढने वाली सरस्वती वंदना मन्त्र का अर्थ लिखिए|
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अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दंड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती आप हमारी रक्षा करें।
'हे देवी, विश्व की संपूर्ण विद्याएं तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत में जितनी स्त्रियां हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियां हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थों से परे हो।'
इस तरह विद्या की देवी मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करने से ज्ञान, विद्या, धन, सुख-समृद्धि और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
'हे देवी, विश्व की संपूर्ण विद्याएं तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत में जितनी स्त्रियां हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियां हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थों से परे हो।'
इस तरह विद्या की देवी मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करने से ज्ञान, विद्या, धन, सुख-समृद्धि और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
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मन्त्र या वंदना का अर्थ –जो कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिम (बरफ) और हार की तरह श्वेत हैं, और जो शुभ्र वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में उत्तम वीणा शोभायमान है, जो श्वेत कमलासन पर बैठती है | ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देव जिनकी सदा स्तुति करते हैं, और जो सम्पूर्ण जड़ता हर लेती हैं , ऐसी माँ भगवती सरस्वती मेरा पालन करें ।
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