गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः
आस्वायतोया: प्रवहन्ति नद्यः समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः ।।
(क) गुणाः केषु भवन्ति?
(ख) गुणाः निर्गुणं प्राप्य के भवन्ति ?
(ग) नद्यः किं प्रवहन्ति ?
(घ) नद्या; जलं समुद्रमासाद्य कथं भवति ?
(ड) प्राप्य इति पदे कः प्रत्ययः ?
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गुण गुणवान की संगति में आकर गुण ही रहता है
परंतु वही निर्गुण की संगति में आकर दोष बन जाता है।
जैसे: नदी का पानी मीठा होता है परंतु सगुद्र में मिलकर वह पीने योग्य भी नही रहता।
आशा है कि यह आपकी मदद करे।
धन्यवाद!
Explanation:
pls all of you give me thanks now
and mark brinlist
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