Hindi, asked by kittu986, 5 months ago

गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति
ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः।
सुस्वादुतोयाः प्रभवन्ति नद्यः
समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः ।।1।।
साहित्यसङ्गीतकलाविहीन:
साक्षात्पशु:पुच्छविषाणहीनः।
तृणं न खादन्नपि जीवमान:
तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ।।2।।
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Answers

Answered by sohanveers245
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Answer:

गुणाः – अच्छे गुण

गुणज्ञेषु – गुणी लोगों में

गुणाः – अच्छे गुण

भवन्ति – होते हैं।

ते – वे

निर्गुणम् – जिसके पास गुण नहीं हैं ऐसी व्यक्ति

प्राप्य – पहुँच कर

भवन्ति – होते हैं।

दोषाः – दोष, ख़राबी

अब हमने प्रत्येक शब्द का अर्थ जान लिया है। अब इसका हिन्दी भाषा में सरल अर्थ प्राप्त करने के लिए हम इन संस्कृत पंक्ति को हिन्दी भाषा के हिसाब से सही क्रम में पुनः लिखेगे। ऐसा हिन्दी के अनुसार संस्कृत को पुनः क्रम से लिखने की क्रिया को अन्वय कहते हैं। तो अब हम इस पंक्ति का अन्वय करेगे।

अन्वय

गुणाः गुणज्ञेषु (एव) गुणाः भवन्ति। ते निर्गुणं (व्यक्तिं प्रति) प्राप्य दोषाः भवन्ति।

हिन्दी अनुवाद

गुण गुणी लोगों में ही गुण होते हैं / कहलाते हैं। वे निर्गुण व्यक्ति के पास पहुँच कर दोष हो जाते हैं।

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