Hindi, asked by dwivedishantipriya99, 6 months ago

गुण शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्टता का दावा करने वाला मनुष्य बंचित है। दोनों एक.
दूसरे को चाटकर सँधकर अपना प्रेम प्रकट करने कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लेते,
विग्रह के नाते से नहीं केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तो में
घनिष्ठता होने ही चौल या होने लगना है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हल्की.
सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।
अथवा
परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे. तो एक आदमी राहदारी माँगने आया
हमने वह दोनों चिटें उसे दे दी। शायद उसी दिन हम थोइला के पहले के आखिरी गाँव में
पहुंच गए। यहाँ भी सुमति के जान पहचान के आदमी थे और भिख मंगे रीते भी ठहरने
अच्छी जगह मिली। पाँच साल बाद हम इसी रास्ते लौटे थे और भिखमंगे नहीं एक भद्र यात्री
के वेश में घोड़ा पर सवार होकर आए थे, किंतु उस वक्त किसी ने हमें रहने के लिए जगह
नहीं दी, और हम गाँव के एक सबसे गरीब झोपड़े में ठहरे थे।
प्र020 आपका नाम रमेश है और आप केन्द्रीय विद्यालय भोपाल के छात्र हैं। आपके परिवार
की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। अतः आप शुल्क मुक्ति (फीस माफ) के लिए अपने
विद्यालय की प्राचार्य को पत्र लिखिये।
05
यशता​

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Answered by mohan7007331
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Explanation:

गुण शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्टता का दावा करने वाला मनुष्य बंचित है। दोनों एक.

दूसरे को चाटकर सँधकर अपना प्रेम प्रकट करने कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लेते,

विग्रह के नाते से नहीं केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तो में

घनिष्ठता होने ही चौल या होने लगना है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हल्की.

सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।

अथवा

परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे. तो एक आदमी राहदारी माँगने आया

हमने वह दोनों चिटें उसे दे दी। शायद उसी दिन हम थोइला के पहले के आखिरी गाँव में

पहुंच गए। यहाँ भी सुमति के जान पहचान के आदमी थे और भिख मंगे रीते भी ठहरने

अच्छी जगह मिली। पाँच साल बाद हम इसी रास्ते लौटे थे और भिखमंगे नहीं एक भद्र यात्री

के वेश में घोड़ा पर सवार होकर आए थे, किंतु उस वक्त किसी ने हमें रहने के लिए जगह

नहीं दी, और हम गाँव के एक सबसे गरीब झोपड़े में ठहरे थे।

what ......

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