Hindi, asked by joshimeenajoshi12, 1 day ago

गुणेष्वेव हि कर्तव्यः प्रयत्नः पुरुषैः सदा। । गुणयुक्तो दरिद्रोऽपि नेश्वरैरगुणैः समः।।5।।​

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Answered by chakkarwarvikrant
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Answered by anupuri58
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अर्थ: निश्चय ही मनुष्यों को हमेशा अच्छे गुणों को ग्रहण करने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए |
क्योंकि धनवान व्यकि्त
भी गुणों से हीन होने पर
गरीब से भी कम अमीर होता है | अर्थात् गुणों से युक्त निर्धन भी धनवान् से श्रेष्ठ होता है |

भावार्थ: सो हमेशा ही अपने में अच्छाइयॉं को बढ़ाए
अगर गुणों से हीन होगे
तो धन से अमीर होने का कोई लाभ नहीं
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