गोपाल प्रसाद बहु में बजाना , सिलाई , पेंटिंग आदि गुण चाहते है , पर पढ़ाई नहीं क्या यह उचित है? इस विषय में अपने विचार लिखे.... guys this is a 9th class question plz don't give very big answers!... Thank you
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गोपाल प्रसाद अपनी होने वाली बहू में बाजा बजाना, सिलाई करना, पेंटिंग करना आदि गुण तो चाहते हैं, परन्तु पढ़ाई नहीं चाहते। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी मानसिकता संकीर्ण है। वह समझते हैं कि पढ़ी-लिखी बहू अपने अधिकारों के प्रति अधिक सजग होगी और वह उनके नियंत्रण में नहीं रहेगी। वह गाय के समान बहू चाहते हैं, जिसे जो वह बोलें वो करे। उन्हें अपनी बहू में उपरोक्त सारे गुणों की तो अपेक्षा है लेकिन एक जागरूक बहू नहीं चाहिए जो उनका विरोध करे। वह ऐसी बहू चाहते हैं जो वह जो कहे वह मान ले। इसी कारण वे अधिक पढ़ी लिखी बहू नहीं चाहते।
उनका ऐसा करना बिल्कुल अनुचित है, क्योंकि स्त्री शिक्षा समाज के लिए उतनी ही आवश्यक है, जितनी पुरुषों की शिक्षा। जब तक स्त्री अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होगी, समाज में समानता नहीं आएगी। गोपाल प्रसाद जैसे लोग संकीर्ण विचारधारा वाले लोग ही महिलाओं को दबाकर रखना चाहते हैं, ताकि पुरुषों को वर्चस्व समाज पर कायम रहे।
Answer:
गोपाल प्रसाद अपनी होने वाली बहू में बाजा बजाना, सिलाई करना, पेंटिंग करना आदि गुण तो चाहते हैं, परन्तु पढ़ाई नहीं चाहते। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी मानसिकता संकीर्ण है। वह समझते हैं कि पढ़ी-लिखी बहू अपने अधिकारों के प्रति अधिक सजग होगी और वह उनके नियंत्रण में नहीं रहेगी। वह गाय के समान बहू चाहते हैं, जिसे जो वह बोलें वो करे। उन्हें अपनी बहू में उपरोक्त सारे गुणों की तो अपेक्षा है लेकिन एक जागरूक बहू नहीं चाहिए जो उनका विरोध करे। वह ऐसी बहू चाहते हैं जो वह जो कहे वह मान ले। इसी कारण वे अधिक पढ़ी लिखी बहू नहीं चाहते।
उनका ऐसा करना बिल्कुल अनुचित है, क्योंकि स्त्री शिक्षा समाज के लिए उतनी ही आवश्यक है, जितनी पुरुषों की शिक्षा। जब तक स्त्री अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होगी, समाज में समानता नहीं आएगी। गोपाल प्रसाद जैसे लोग संकीर्ण विचारधारा वाले लोग ही महिलाओं को दबाकर रखना चाहते हैं, ताकि पुरुषों को वर्चस्व समाज पर कायम रहे |