गोपाल प्रसाद की द्रुष्टी मे बहू कैसी हो
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गोपाल प्रसाद की दृष्टि में बहू कम पढ़ी-लिखी हो क्योंकि उनकी दृष्टि में अधिक पढ़ी-लिखी बहू होगी तो वो उनकी बात नहीं मानेगी और बात बात पर नखरे दिखाएगी। गोपाल प्रसाद भले ही पेशे से वकील थे पर शिक्षा के मामले में दोहरी राय रखते थे। वे लड़कों को तो उच्च शिक्षा देने के पक्षधर थे लेकिन लड़कियों के लिए कम शिक्षा के पक्षधर थे। वे शादी के मामले को एक बिजनेस मानते थे, जिसमें दहेज जैसे लेनदेन को पूरा समर्थन देते थे।
वे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अपने बेटे का विवाह कम पढ़ी-लिखी बहू से करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। वह बहू की इच्छा को नखरे मानते थे, बहू के संबंध में उनकी दकियानूसी सोच थी।
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'बहू के मायके की आलोचना करना उचित नहीं है' इस विषय में अपने विचार लिखिए।
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गोपाल प्रसाद की दृष्टि में बहू कम पढ़ी-लिखी हो क्योंकि उनकी दृष्टि में अधिक पढ़ी-लिखी बहू होगी तो वो उनकी बात नहीं मानेगी और बात बात पर नखरे दिखाएगी। गोपाल प्रसाद भले ही पेशे से वकील थे पर शिक्षा के मामले में दोहरी राय रखते थे। वे लड़कों को तो उच्च शिक्षा देने के पक्षधर थे लेकिन लड़कियों के लिए कम शिक्षा के पक्षधर थे। वे शादी के मामले को एक बिजनेस मानते थे, जिसमें दहेज जैसे लेनदेन को पूरा समर्थन देते थे।
वे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे अपने बेटे का विवाह कम पढ़ी-लिखी बहू से करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। वह बहू की इच्छा को नखरे मानते थे, बहू के संबंध में उनकी दकियानूसी सोच थी।