गोपी ने कृष्णा के जन्मोत्सव और उनके सौंदर्य के व्यापक प्रभाव किन शब्दों में वर्णन किया है
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गोपी ने कृष्णा के जन्मोत्सव और उनके सौंदर्य के व्यापक का वर्णन इस प्रकार किया है, गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को एक पक्षी के उदाहरण के माध्यम से अभिव्यक्त किया है | गोपियाँ अपने आप को पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भाँति बताया है। वह पक्षी हमेशा अपने पंजे में कोई लकड़ी अथवा तिनका पकड़े रहता है और उसे किसी भी हालत में पकड़ कर रखता है , इसी प्रकार गोपियाँ ने भी कृष्णा को मन, कर्म और वचन से कृष्ण को अपने ह्रदय में दृढ़ता पूर्वक बसा लिया है। गोपियाँ कृष्णा के जन्मोत्सव के दिन खुब नृत्य करती है और उनके सौंदर्य जैसे रूप में खो जाती है | कृष्णा दिल के बहुत ही साफ और मन को मोह लेने वाले है |
पूरे ब्रज में कृष्ण के जन्मोत्सव का हाल-चाल है चारों तरफ लोग कृष्ण के अनुपम सौंदर्य की चर्चा कर रहे हैं इसी बीच एक गोपी जब्रज में दही बेचने आती है तो नंद जी के महल की सजावट देकर मुक्त हो जाती है दरअसल यह कृष्ण के अनुपम सौंदर्य का प्रभाव है जो एक रूपक का रूप धारण किए हुए हैं यह शोभा रूपी समुद्र नंद के महल से निकलकर ब्रज की सभी गलियों में बह रही है