गोपी से स्वंय की सँभालाक्यों कही जाता ?
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गोपी को श्रीकृष्ण की मुस्कान इतनी सुंदर लगती है कि इसे देखकर वह अपना होश-हवास खोकर विवश हो जाती है और स्वयं को सँभाल नहीं पाती है। वह श्रीकृष्ण के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाती है। ... इस मुरली के कारण ही वह कृष्ण को सामीप्य पाने से वंचित रह जाती है। वह सोचती है कि कृष्ण उससे ज्यादा मुरली को चाहते हैं।
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