Hindi, asked by JEEVAL46, 10 months ago

गुप्ता जी को डेस उपाधि मिला है​

Answers

Answered by shrutika154
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Answer:

can you explain properly what you want to ask

Answered by GujjarBoyy
3

Explanation:

गुप्त साम्राज्य(Gupta empire )

❇ मौर्य सम्राज्य के पतन के बाद भारत की राजनीतिक एकता समाप्त हो गई । इस बीच कुषाण वंश व सातवाहन वंश ने क्रमशः उत्तरी व दक्षिणी भारत में स्थिरता लाने का प्रयास किया किंतु वह अपने-अपने क्षेत्रों में ही सीमित रहे ।

❇ चौथी शताब्दी के प्रारंभ में पूरे भारत में एक नए राजवंश का उदय हुआ जो गुप्त वंश के नाम से जाना जाता था । गुप्त संभवत कुषाणों के सामंत थे ।

❇ गुप्तों की उत्पत्ति से संबंधित प्रश्न बड़ा विवादास्पद है । वज्जीका द्वारा लिखित कीर्ति कौमुदी नाटक में लिच्छवियों को मलेच्छ तथा चंद्रगुप्त प्रथम को कारस्कर कहा गया है।

❇ चंद्र गोमिन के व्याकरण में गुप्ता को जाट (जट) कहा गया है।

गुप्ता की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न विद्वानों के मत निम्न हैं

विद्वान मत

के पी जायसवाल – शुद्र

एलेन , अल्तेकर, रोमिला थापर – वेश्या

हेमचंद्र रायचौधरी – ब्राह्मण रमेशचंद्र मजुमदार, ओझा – क्षत्रिय

❇ चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्ता ने अपने पूना ताम्रपत्र में धारण गोत्र का उल्लेख किया है । यह गोत्र उसके पिता का ही होगा क्योंकि उसके पिता वाकाटक नरेश रुद्रसेन द्वितीय विष्णु वृर्ध्दी गोत्र के ब्राह्मण थे।

❇ गुप्तों का आदि पुरुष श्रीगुप्त था । उसका पुत्र घटोत्कच था ।

❇ स्कंदगुप्त के सुपिया (रीवा) के लेख में गुप्त वंश को घटोत्कच वंश कहा गया है।

❇ गुप्त वंशावली का परिचय देने के लिए हमारे पास अनेक अभिलेख हैं । जिनमें सबसे प्रमुख हैं समुद्रगुप्त का प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख कुमारगुप्त का विलसडस्तम्भ लेख और स्कंद गुप्त का भीतरी स्तंभ लेख।

गुप्त शासकों के अनुसार गुप्त वंश का इतिहास

?☀ चन्द्रगुप्त प्रथम (320 – 335 ई.) ☀?

? चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश को एक शक्तिशाली राज्य के रूप में प्रतिष्ठित किया । इसे गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है । गुप्त वंशावली में चंद्रगुप्त प्रथम पहला शासक था, जिसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की । श्री गुप्त ने महाराज की उपाधि धारण की थी।

? इसने एक नए संवत गुप्त संवत 319 – 20 ईस्वी को चलाया । गुप्त संवत तथा शक संवत के बीच 241 वर्षों का अंतर था ।

? इसने लिछवी राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया। चंद्रगुप्त कुमार देवी प्रकार के सिक्कों से इस विवाह की पुष्टि होती है।

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