गुप्ता जी के काव्य में भाव पक्ष एवं कला पक्ष सुंदर समन्वय हुआ है कीजिए
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काव्यगत विशेषताएँ गुप्त जी स्वभाव से ही लोकसंग्रही कवि थे और अपने युग की समस्याओं के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील रहे। उनका काव्य एक ओर वैष्णव भावना से परिपोषित था, तो साथ ही जागरण व सुधार युग की राष्ट्रीय नैतिक चेतना से अनुप्राणित भी था।
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