गुप्त जी के काव्य में भाव पक्ष और कला पक्ष का सुंदर सामना स्पष्ट कीजिए विस्तार में
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(क) भाव-पक्ष- (1) गुप्तजी की कविता के वर्ण्य-विषय मुख्यत: भक्ति, राष्ट्र -प्रेम, भारतीय संस्कृति और समाज-सुधार हैं। (2) इनकी धार्मिकता में संकीर्णता का आरोप नहीं किया जा सकता है। ... (8) इनकी रचनाओं में समाज सुधारवादी दृष्टिकोण भी दिखलाई पड़ता है। (9) गुप्तजी के प्रकृति-चित्रण में सरसता एवं सजीवता है।
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