History, asked by kamleshwalde99, 22 days ago

गुप्त प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए​

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Answered by kusuraunak25032009
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Answer:

मौर्यों के समान ही गुप्त प्रशासन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि केन्द्र से लेकर ग्राम तक प्रशासन की सुविधा के लिए क्षेत्र का विभाजन किया गया था। गुप्त शासक शासन का केन्द्र बिन्दु हुआ करते थे। शासन व्यवस्था राजतंत्रात्मक एवं वंशानुगत थी लेकिन ज्येष्ठाधिकार जैसे तत्व कम ही दिखाये पड़ते हैं।

Explanation:

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Answered by chaudharyvikramc39sl
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Explanation:

गुप्त प्रशासन की प्रमुख विशेषताए :

  • मौर्य राजाओं के विपरीत गुप्त राजाओं ने परमेश्वर महाराजाधिराज, परमभट्‌टारक आदि आडंबरपूर्ण उपाधियाँ धारण कीं । इससे संकेत मिलता है कि उन्होंने अपने साम्राज्य के भीतर छोटे राजाओं पर शासन किया । राजपद वंशगत था परंतु राजसत्ता ज्येष्ठाधिकार की अटल प्रथा के अभाव में सीमित थी ।
  • मध्य और पश्चिम भारत में ग्रामवासियों से सरकारी सेना और अधिकारियों की सेवा के लिए बेगार (नि:शुल्क श्रम) भी कराया जाता था जो विष्टि कहलाता था । पहले की अपेक्षा गुप्तकाल में न्याय-पद्धति अधिक विकसित थी । इस काल में अनेक विधि-ग्रंथ संकलित किए गए ।
  • गुप्त राजओं ने प्रांतीय और स्थानीय शासन की पद्धति चलाई । राज्य कई भुक्तियों अर्थात् प्रांतों में विभाजित था और हर भुक्ति एक-एक उपरिक के प्रभार में रहती थी । भुक्तियाँ कई विषयों अर्थात् जिलों में विभाजित थीं । हर विषय का प्रभारी विषयपति होता था । पूर्वी भारत में प्रत्येक विषय को वीथियों में बाँटा गया था और वीथियाँ ग्रामों में विभाजित थीं ।
  • वैशाली से प्राप्त सीलों से प्रकट होता है कि शिल्पी वणिक और लिपिक एक ही सामूहिक संस्था में काम करते थे और इस हैसियत से वे स्पष्टत: नगर के कार्यों का संचालन करते थे । उत्तरी बंगाल (बांग्लादेश) के कोटिवर्ष जिले की प्रशासनिक परिषद् में मुख्य वणिक, मुख्य व्यापारी और मुख्य शिल्पी शामिल थे ।
  • बहुत अधिकारी रखना इसलिए भी अनावश्यक हो गया होगा क्योंकि मौर्य राज्य की भांति गुप्त राज्य बड़े पैमाने पर आर्थिक कार्यकलाप में संलग्न नहीं था । ग्राम और नगर के प्रशासन में शिल्पियों, वणिकों श्रेष्ठियों आदि के भाग लेने से अधिकारियों का लंबा तांता आवश्यक न रह गया ।

गुप्तों का मौर्यों की भांति न लंबा-चौड़ा प्रशासन तंत्र था और न उन्हें उसकी आवश्यकता ही थी । कई दृष्टियों से गुप्तों की राजनीतिक प्रणाली सामंती लगती है ।

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