गुप्त साम्राज्य के प्रशासन की मुख्य विशेषताएं बताएं
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Explanation:मौर्यों के समान ही गुप्त प्रशासन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि केन्द्र से लेकर ग्राम तक प्रशासन की सुविधा के लिए क्षेत्र का विभाजन किया गया था। गुप्त शासक शासन का केन्द्र बिन्दु हुआ करते थे। शासन व्यवस्था राजतंत्रात्मक एवं वंशानुगत थी लेकिन ज्येष्ठाधिकार जैसे तत्व कम ही दिखाये पड़ते हैं।
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राजनैतिक व्यवस्था-
- शासन की दृष्टि से हम गुप्त-साम्राज्य को निम्नलिखित भागों में बाँट सकते हैं
- गुप्तवंश के सम्राटों के शासन में विद्यमान प्रदेश- ये शासन की सुगमता के लिए भुक्तियों (प्रान्तों या सूबों) में विभक्त थे। प्र
- आर्यावर्त व मध्यदेश के सामन्त- इनकी यद्यपि पृथक् सत्ता थी पर ये सम्राट् की अधीनता में ही शासन का कार्य करते थे।
- गणराज्य- यौधेय, मालव, आर्जुनायन, आभीर, शनकानीक, काक, खर्परिक, मद्र आदि अनेक गणराज्य गुप्तों के शासन-काल में विद्यमान थे, जो गुप्त सम्राटों के आधिपत्य को स्वीकार करते थे।
- अधीनस्थ राजा- दक्षिण कोशल, महाकांतार, पिष्टपुर, कोट्टूर, ऐरङडपल्ल, देवराष्ट्र अवमुक्त आदि बहुत-से राज्य इस काल में पृथक रूप से विद्यमान थे।
- सीमावर्ती राज्य- आसाम, नेपाल, समतल, कर्तृपुर आदि के सीमावर्ती राज्य प्रायः स्वतन्त्र सत्ता रखते थे |
- अनुकूल मित्र- राज्य-सिंहलद्वीप और भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा के राजा गुप्त सम्राटों को भेंट-उपहार और कन्यादान आदि उपायों से मित्र बनाये रखने के लिए उत्सुक रहते थे।
केन्द्रीय शासन के विविध विभागों को अधिकरण कहते थे
प्रान्तीय शासन-
- देश या राष्ट्र के शासक के रूप में प्राय: राजकुल के व्यक्ति नियत होते थे। इन्हें युवराज-कुमारामात्य कहते थे।
- गुप्तकाल के जो लेख मिले हैं, जिनसे सुराष्ट्र, मालवा, मन्दसौर और कौशाम्बी-चार राष्ट्रों का परिचय मिलता है। सुराष्ट्र का राष्ट्रिक (शासक) समुद्रगुप्त के समय में पर्णदत्त था।
- विषय में अनेक शहर और ग्राम होते थे। शहरों के शासन के लिए पुरपाल नाम का कर्मचारी होता था
- ग्रामों के शासन में पंचायत का बड़ा महत्त्व रहता था। इस युग में पंचायत को पंच-मंडली कहते थे।
अधीनस्थ राज्यो का शासन-
- गुप्त साम्राज्य के अन्तर्गत जो अनेक अधीनस्थ राज्य थे, उन पर सम्राट् के शासन का ढंग यह था कि छोटे सामन्त विषयपति कुमारामात्यों के और बड़े सामन्त मुक्ति के शासन उपरिक महाराज कुमारामात्यों के अधीन होते थे।
- मौर्ययुग में यह सामन्त पद्धति विकसित नहीं हुई थी। उस काल में पुराने जनपदों की पृथक् सत्ता की स्मृति और सत्ता विद्यमान थी
- शक, यवन, कुषाण आदि के आक्रमणों से भारत में जो अव्यवस्था और अशान्ति उत्पन्न हो गई थी, उसी ने इस पद्धति को जन्म दिया था |
- इसी का यह परिणाम हुआ, कि सारे उत्तरी भारत में अव्यवस्था छा गई, और एक प्रकार के मत्स्यन्याय का प्रादुर्भाव हो गया।
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