गुप्तवंश के प्रमुख शासकों का वर्णन करते हुए इस काल की सांस्कृतिक उपलब्धियों पर एक लेख लिखिए।
Answers
गुप्त वंश की स्थापना 275 ईसवी में श्री गुप्त ने की थी। श्री गुप्त के बाद घटोचक ने गुप्त शासन को संभाला। गुप्त वंश की यशस्वी गाथा चंद्रगुप्त प्रथम से शुरू हुई।
चंद्रगुप्त प्रथम (320 से 335 ईस्वी) — चंद्रगुप्त प्रथम ने 319 ईसवी में एक संवत चलाया था, जो गुप्त संवत के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
समुद्रगुप्त (335 से 325 ईस्वी) — चंद्रगुप्त प्रथम के पुत्र समुद्रगुप्त ने चंद्रगुप्त के शासन को आगे बढ़ाया। समुद्रगुप्त भी एक यशस्वी और शक्तिशाली राजा था।
चंद्रगुप्त द्वितीय (380 से 412 ईस्वी) — चंद्रगुप्त द्वितीय गुप्त वंश का सबसे प्रतापी और यशस्वी राजा था। चंद्रगुप्त द्वितीय को विक्रमादित्य के नाम से भी जानते हैं।
कुमारगुप्त महेंद्रादित्य द्वितीय (414 से 455 ईस्वी) — चंद्रगुप्त द्वितीय के बाद उनका पुत्र कुमारगुप्त राजा बना। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की।
स्कन्दगुप्त (455 से 467 ईस्वी) — स्कन्द गुप्त भी एक यशस्वी राजा था जिसने हूणों को पराजित किया था और उन्हें भारत में घुसने से रोका था।
गुप्त वंश की महान सांस्कृतिक उपलब्धियां — गुप्त वंश के अधिकतर शासक वैदिक धर्म को मानने वाले थे और अश्वमेध यज्ञ का आयोजन भी करते थे। इनके शासनकाल में बौद्ध और जैन धर्म को भी बराबर सम्मान मिलता था। विक्रमादित्य अर्थात चंद्रगुप्त द्वितीय के समय में चीनी यात्री फाह्यान भी भारत भ्रमण पर आया था। गुप्त काल के कामकाज की भाषा संस्कृत थी। कालिदास, शूद्रक, विशाखदत्त, अमर सिंह जैसे संस्कृत के महान साहित्यकार गुप्त काल में ही हुए हैं। रामायण, महाभारत और मनु संहिता अपने वर्तमान रूप में गुप्त काल में ही आई थी। गुप्त काल में आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त आदि जैसे गणितज्ञ और खगोलशास्त्री भी थे। गुप्त काल में वास्तुकला, चित्रकला, धातु कला आदि कलाओं का भरपूर विकास हुआ था।