गोपियों के हृदय में बांसुरी के प्रति सौतिया डाह क्यों है ?
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गोपियों ने बांसुरी से पूछा ‘आखिर पिछले जन्म में तुमने ऐसा कौन-सा पुण्य कार्य किया था. जो तुम केशव के गुलाब की पंखुडी जैसे होंठों पर स्पर्श करती रहती हो? ये सुनकर बांसुरी ने मुस्कुराकर कहा ‘मैंने श्रीकृष्ण के समीप आने के लिए जन्मों से प्रतीक्षा की है. त्रेतायुग में जब भगवान राम वनवास काट रहे थे. उस दौरान मेरी भेंट उनसे हुई थी. उनके आसपास बहुत से मनमोहक पुष्प और फल थे. उन पौधों की तुलना में मुझमें कोई विशेष गुण नहीं था. पंरतु भगवन ने मुझे दूसरे पौधों की तरह ही महत्व दिया. उनके कोमल चरणों का स्पर्श पाकर मुझे प्रेम का अनुभव होता था. उन्होंने मेरी कठोरता की भी कोई परवाह नहीं की.
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