गोपियों ने कृष्ण भक्ति की सार्थकता कैसे सिंध की है
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¿ गोपियों ने कृष्ण भक्ति की सार्थकता कैसे सिद्ध की है ?
✎... गोपियां श्रीकृष्ण के प्रेम में पूरी तरह डूबी हुई है। वह प्रिय श्री कृष्ण के प्रेम रस में इस कदर सराबोर हैं कि उन्हें श्री कृष्ण के अलावा कुछ सूझता ही नहीं है। उनकी दशा हारिल पक्षी के समान हो गई है। हारिल पक्षी लकड़ी को सदैव अपने पंजों में दबाये रहता है, वह लकड़ी को छोड़ना ही नहीं चाहता। वह मन-वचन-कर्म से लकड़ी के प्रति अपनी आसक्ति रखता है, उसी तरह गोपियों की दशा हो गई है वह भी श्रीकृष्ण के प्रेम रूपी लकड़ी को अपने मन रूपी पंजों में दबाई हुई हैं और उसे छोड़ना ही नहीं चाहती।
श्री कृष्ण गोपियों को छोड़कर मथुरा चले गये हैं और गोपियों को लगता है कि उनका मन भी श्रीकृष्ण के साथ मथुरा चला गया है। वे सोते जागते ऊपर बैठे रात दिन केवल श्री कृष्ण का ही चिंतन करती रहती हैं, श्रीकृष्ण की यादों में ही डूबी रहती हैंय़ इस तरह गोपियों ने श्री कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को अभिव्यक्त किया है।
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